रीवा। नगर निगम का इतिहास छठवीं परिसद के कार्यकाल में बदलने जा रहा है, बड़ी बात यह है कि इस इतिहास को 23 वर्षाे तक नगर निगम में राज करने वाली भारतीय जनता पार्टी ही बदलने जा रही है,शायद इसकी बड़ी वजह उनकी हार और कांग्रेस की जीत का बर्दाश्त न होना है। हम आपको बता देंं कि जो भाजपाई करने जा रहे हैं वह आज तक नहीं हुआ। नगर निगम के अधिकारियों की माने तो नगर निगम की तरफ से महापौर और पार्षदों का शपथ ग्रहण कार्यक्रम आगामी 30 जुलाई को पद्मधर पार्क में निर्धारित किया गया है लेकिन भाजपा के पार्षद व भाजपा की सदस्यता ले चुके निर्दलीय पार्षद कल यानी 28 जुलाई को कलेक्ट्रेट में शपथ ले रहे हैं। बता दें कि ऐसा नगर निगम के इतिहास में पहली बार हो रहा है जब कांग्रेस और भाजपा के पार्षद अलग-अलग शपथ ले रहे हैं, इससे पहले सभी पार्टियों के पार्षद एक साथ आयोजित समारोह में शपथ लेते रहे हैं। इस मामले की जानकारी सार्वजनिक होने के बाद से ही तरह-तरह की चर्चाएं होने लगी हैं, कहा जा रहा है कि भाजपाईयों से कांग्रेस की जीत अब तक बर्दाश्त नहीं हो पा रही है और वह अपनी हार को लेकर इतने दुखी हैं कि सार्वजनिक होकर शपथ भी लेने के लिए तैयार नहीं है। बतादेंकि आज तक अभी ऐसा नहीं हुआ है कि दो दलो के लिए अलग-अलग शपथ कार्यक्रम हों महापौर के साथ ही पार्षद शपथ लेते थे।
कांग्रेस ने हमेशा ली शपथ
बता दें कि बीते 23 वर्षो से नगर निगम में भाजपा का ही महापौर रहा है, इस दौरान चुनाव के बाद एक ही शपथ कार्यक्रम आयोजित होता था, जिसमें सभी दल के पार्षद एक साथ शपथ लिया करते थे। कांग्रेसी पार्षदों ने भी हमेशा ही भाजपा महापौर व पार्षदों के साथ शपथ ली है लेकिन इस बार भाजपा के पार्षद अलग शपथ ले रहे हैं, हालांकि इसके अलावा कहा यह भी जा रहा है कि जब वह अभी शपथ में साथ नहीं है तो यह विकास के मुद्दो पर क्या कांगे्रस का साथ देंगे। आगामी दिनो में हालात यह होंगे की नगर निगम सिर्फ राजनीति का अखाड़ा बनकर रह जाएगा।
दिखने लगता है सत्ता खोने का असर
बता दें कि नगर निगम में ज्यादातर कांग्रेस ही विपक्ष में रहा है लेकिन जब भी भाजपा विपक्ष में आती है चाहे व प्रदेश स्तर पर हो या फिर निगम स्तर पर इसका असर दिखने लगता है, अपने ही द्वारा जिन मुद्दो को विकास बताया जाता है उसका ही विरोध करने लगते हैं, यह भूल जाते है कि यह विकास की कहानी उनकी ही थी, वहीं अब इस प्रकार से अलग शपथ लेना कई सवाल खड़े कर रहा है, पूर्व में भी जब प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनी तो नगर निगम में भाजपाईयों ने जमकर हंगामा किया था। चर्चां में कहा जा रहा है शायद भाजपा कांग्रेस और निर्दलीय को अछूता मान रही है और इसलिए उनके साथ शपथ लेना नहीं चाह रहे हैं।
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