रीवा। संभाग में बेरोजगार युवाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। इन युवाओं को रोजगार की व्यवस्था की लिए जो सरकारी तंत्र है वह पूरी तरह से निष्क्रिय हो गया है। स्थिति यह है कि अब सरकारी रोजगार कार्यालय में प्राइवेट नौकरी मिल रही है, वह भी अन्य प्रदेशों में। जहां कम वेतन और सुविधाएं नहीं मिलने के कारण युवा नौकरियां छोड़कर लौट रहे हंै। संभाग में रोजगार के कोई नए संसाधन नहीं होने से बेरोजगारों की संख्या प्रदेश में तीसरे स्थान पर पहुंच गई है। ऐसे में रोजगार नहीं होनेे के कारण परिवार व युवा दोनों पर मानसिक दबाव बढ़ रहा है। बता दें कि युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने की लिए जिले में रोजगार कार्यालय खुले हंै। इन कार्यालयों से सरकारी ऑफिस में आने वाली भर्ती की जानकारी पंजीकृत युवाओं को दी जाती थी। वहीं पंजीकृत युवा अपनी शैक्षणिक योग्यता के अनुसार इसके लिए आवेदन करता था, लेकिन यह व्यवस्था अब ठप हो चुकी है। सरकार अब सरकारी भर्ती पीइबी बोर्ड के माध्यम से परीक्षा आयोजित कर करवा रही है। ऐसे में रोजगार कार्यालय में पंजीकृत बेरोजगार युवाओं की संख्या बढ़ती जा रही है। रोजगार कार्यालय के आंकड़े बताते हैं कि पिछले दस सालों में रोजगार कार्यालय रीवा के माध्यम से एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी मिली है। जबकि सतना, सीधी व सिंगरौली में यह संख्या शून्य है।
सरकार का रोजगार देने पीपीपी मॉडल भी फ्लॉप
रोजगार कार्यालय से युवाओं को रोजगार के जोडऩे मेें विफल रही सरकार ने प्रदेश में पंद्रह रोजगार कार्यालयों में पीपीपी मॉडल में प्लेसमेंट सेंटर खोला है। इन प्लेंसमेंट सेंटर के माध्यम से निजी क्षेत्रों की जरुरत के हिसाब से सरकार युवाओं को उनकी कार्यकुशलता के आधार पर रोजगार उपलब्ध कराना था। इन प्लेसमेंट सेंटर के माध्यम से प्रतिवर्ष कम से कम पंद्रह हजार युवाओं को रोजगार देने का लक्ष्य रखा गया था, जिसे पूरा नहीं कर पाए। इतना ही नहीं, इन प्लेंसमेट सेंटर में काल सेंटर और स्किल ट्रेनिंग के प्रोग्राम चलाने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन यह भी हवा हवाई साबित हुआ। वर्तमान में अकेले रीवा संभाग में 2 लाख 70 हजार से अधिक युवा बेरोजगार हैं।
दस साल में 39 हजार को रोजगार देने का दावा
प्रदेश में पीपीपी मॉडल में बने प्लेंसमेंट सेंटर के माध्यम से रोजगार मेला आयोजित कर 39 हजार लोगों को पिछले दस सालों में निजी क्षेत्रों में रोजगार देने का दावा किया जा रहा है। दावों के अनुसार इन प्लसेंटमेंट सेंटर से प्रतिवर्ष चार हजार लोगों को रोजगार मिला है। जबकि प्लेसमेट सेंटर के लिए 15 हजार युवाओं को रोजगार देने का लक्ष्य रखा गया था। प्लेसमेंट सेंटर से प्रदेश के बाहर पंजाब, तेलंगाना, आंध प्रदेश, गुजरात में युवाओं को नौकरी मिली, लेकिन यहां वेतन काफी कम होने और काम अधिक होने के कारण युवा नौकरी से वापस लौट आए।
पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या
रीवा 109496
सतना 103347
सीधी 32062
सिंगरौली 38120
प्रदेश में बेरोजगारी के मामले में टॉप जिले
1 ग्वालियर 155396
2 भोपाल 131381
3 रीवा 109476
नहीं लग पाए दो बड़े प्लांट
रीवा जिले में डभैारा में दो बड़े पॉवर प्लांट के लिए अभिजीत गु्रप व वीडियोकॉन ने जमीन अधिग्रहित की थी। इससे स्थानीय लोगों को व्यापक स्तर में रोजगार मिलने की संभावना थी, लेकिन कोट आवंटन नहीं होने के कारण है यह पांवर प्लांट नहीं लग पाए हैं। इससे लोगों को निराशा हाथ लगी है।
प्रयास तो हुए, लेकिन नहीं आए उद्योग
संभाग में रोजगार के बेहतर अवसर मिल सकें, इसके लिए सरकार ने इंवेस्टर्स मीट बुलाकर औद्योगिक इकाइयां स्थापित करने निवेशकों को आमंत्रित किया। इसके लिए सरकार ने जमीन आवंटन की सरल प्रक्रिया के साथ स्थानीय युवाओं को रोजगार देने में अनेक प्रकार की रियायत निवेशकों को देने की घोषणा की। इसके बावजूद इन दस सालों में कोई बड़े उद्योग नहीं लगे।
सतना
औद्योगिक इकाइयों में स्थानीय को प्राथमिकता नहीं
संभाग का सतना जिला सीमेंट क्षेत्र का हब माना जाता है। यहां छह बड़े सीमेंट उद्योग हैं। इसके बावजूद स्थानीय लोगों को यहां रोजगार नहीं मिल रहा है। जिले में 103347 लोगों ने रोजगार कार्यालय में पंजीयन कराया है, लेकिन इन्हें रोजगार नहीं मिला है। यहां प्लेसमेंट सेंटर के माध्यम से रोजगार मेला में पिछले दो सालों में 42सौ लोगों को रोजगार उपलब्ध देने का दावा किया जा रहा है। इसके साथ ही कैरियर काउंसलिंग के माध्यम से 19 सौ लोगों को मार्गदर्शन दिया गया है। लेकिन यहां बेरोजगारों की संख्या लगातार बढ़ रही है। दस सालों से कोई नई बड़ी औद्योगिक इकाई नहीं लगी है। वहीं इन इकाइयों में पूरा श्रम अब आउट सोर्स के माध्यम से होने के कारण युवाओं को उनकी शैक्षणिक योग्यता के अनुसार काम नहीं मिल रहा है।
सिंगरौली : औद्योगिक क्षेत्र होने के बावजूद बेरोजगारों को मिल रही निराशा
सिंगरौली जिला जो कि ऊर्जाधानी के नाम से देश एवं विदेशों में विख्यात है यह क्षेत्र कोयला एवं पानी की उपलब्धि का कारण ऊर्जा हब बना हुआ है। यहां एनटीपीसी के ऊर्जा संयंत्र तथा निजी कंपनियों के माध्यम से प्रतिदिन 10,000 मेगावाट से अधिक विद्युत उत्पादन हो रहा है। जिस विद्युत से देश के कई राज्य जगमगा रहे हैं इन ऊर्जा संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति एनसीएल की कोयला खदानों से एवं पानी की आपूर्ति रिहंद जलाशय से की जाती है औद्योगिक क्षेत्र और औद्योगिक इकाइयों अत्यधिक स्थापना के बावजूद यह क्षेत्र स्थानीय युवाओं के लिए कारगर साबित नहीं हो रहा है। इसकी मुख्य वजह इन कंपनियों में स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर नहीं मिल पाते हैं, क्योंकि कंपनियां संयंत्र चलाने के लिए अखिल भारतीय स्तर पर दूरदराज के युवाओं को रोजगार के अवसर देती हैं। एक वजह यह भी है कि इस क्षेत्र में उच्च शिक्षा एवं औद्योगिक शिक्षा के शिक्षण संस्थान न होने की वजह से भी यहां के युवा उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा के लिए प्रदेश एवं दूसरे प्रदेशों की ओर रुख करने के लिए मजबूर रहते हैं।
2004 से नहीं हैं रोजगार कार्यालय अधिकारी
बेरोजगारों को रोजगार से जोडऩे वाली विंग जिला रोजगार कार्यालय की स्थापना के बावजूद वर्ष 2004 से जिले में किसी भी रोजगार अधिकारी को स्थाई रूप से पदस्थ नहीं किया गया। निवर्तमान में प्रभार डीआईसी के महाप्रबंधक ए.आर मंसूरी के पास है उन्होंने ने बताया कि जिला रोजगार कार्यालय में अब तक 38,120 विभिन्न डिग्रीधारी बेरोजगारों का पंजीयन किया जा चुका है जबकि आज तक किसी भी बेरोजगार को रोजगार कार्यालय द्वारा रोजगार नहीं दिलाया जा सका है।
-रोजगार मेलों से युवाओं का हो रहा मोहभंग
जिले के युवाओं एवं बेरोजगारों को रोजगार मुहैया कराने के उद्देश्य जिला प्रशासन द्वारा अलग-अलग स्थानों पर रोजगार मेले का आयोजन कराया जाता है जिसका उद्देश्य युवाओं को उनके योग्यता अनुरूप रोजगार मुहैया कराना हैं इन रोजगार मेला में अलग-अलग प्रदेशों की विभिन्न कंपनियां युवाओं का चयन करती हैं परंतु इन युवाओं को उनकी योग्यता के अनुरूप रोजगार न मिल पाने की वजह से युवा बेरोजगारों का रोजगार मेलों से भी मोहभंग होता जा रहा है।
-इनका कहना है
जिले के युवा बेरोजगारों को उनकी योग्यता अनुरूप रोजगार के अवसर मुहैया कराने के उद्देश्य सें जगह जगह रोजगार मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें युवा बेरोजगारों को उनकी योग्यता के अनुरूप रोजगार के अवसर प्राप्त होते हैं। वहीं स्थानीय युवाओं को विभिन्न कंपनियों में रोजगार दिलाने की भी प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे वे रोजगार प्राप्त कर सकें।
-डीपी बर्मन
अपर कलेक्टर सिंगरौली
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सरकार ने पीपीपी मोड में संचालित प्लेसमेंट सेंटर को अनुबंध समाप्त होने के बाद बंद कर दिया है। अब पुरानी प्रकिया के तहत एक दो कंपनी बुलाकर बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराने के व्यवस्था की जाएगी। वहीं सरकारी नौकरी के लिए तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के भर्ती पीइबी को जानकारी सौंप दी गई है। इसके द्वारा परीक्षा आयोजित कर जल्द ही व्यापक संख्या में भर्ती की जाएगी।
अनिल दुबे, जिला रोजगार कार्यालय अधिकारी
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