रीवा। अपने बयानों को लेकर हमेशा सुखिर्यों में रहने वाले रीवा के एक मात्र सांसद जर्नादन मिश्रा एक बार फिर अपने बयान को लेकर सुर्खियों में हैं, इस बार तो उन्होंने किसी और को लेकर जो कुछ कहा लेकिन अपने ही हिस्ट्री का बखान कर डाला और बताया कि वह किस प्रकार के उद्ंड थे और किस तरह से नेता बनने का सफर उन्होंने तय किया है। यह बाते उन्होंने कृष्णा राजकपूर आडिटोरियम में आयोजित स्व.भगवतशरण माथुर की स्मृति में आयोजित कार्यक्रम में बयां की है और भी कई बाते उन्होंने कार्यक्रम में कहीं। इसके अलावा भी उनके द्वारा ब्राम्हड़ो के ज्ञान को लेकर टिप्पणी भी की है। हालांकि यह बयान उन्होंने किस सोच व किस मानसिकता से दिया यह तो वह ही जानें लेकिन इन बयानों को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं की जा रही है, कई इस बयान की निंदा कर रहे हैं।
सांसद ने यह कहा…
सांसद जर्नादन मिश्रा ने भरी सभा में कहा कि पहले कार्यकर्ताओं में उर्जा भरने का काम नेता करते थे। उन दिनों कलेक्टर को थप्पड़ मारने वाले नेता की एक दो वर्ष की नेतागिरी पक्की हो जाती थी। वह बोले की वह खुद काफी उद्दंडी किस्म के थे, उनका काम ही ऐसा था कि कभी कलेक्टर को पकड़कर खींचना, कालर पकडऩा व थप्पड़ मारना, इस दौरान उन्होंने कुछ किस्से भी बयां करते हुए बताया कि वह किस प्रकार से विरोध दर्ज कराते थे। उन्होंने कहा कि भगवतशरण माथुर कार्यकर्ताओं को नेतृत्व देने का काम करते थे। उनके आदर्शो पर ही वह राजनीति में आए।
मंत्र उच्चारण नहीं कर पाते पंडित
उन्होंने भरी सभा में पंडि़तो को लेकर भी कहा कि यहां पर कर्मकांडी पंडितों के ज्ञान में कमी हैं, वह ठीक से शादी-विवाह में मंत्र उच्चारण भी नहीं कर पाते हैं, अधिकांश तो ठीक से श्लोक भी नहीं पढ़ पाते हैं। दक्षिण भारत के पंडितो को यहां लाकर प्रशिक्षित कराने की योजना थी लेकिन यह सफल नहीं हुई।
विकास से ज्यादा बयान पर चर्चा
बता दें कि सांसद जर्नादन मिश्रा जितना विकास कार्यो की बात को लेकर चर्चा में नहीं रहते वह उतना ज्यादा अपने दिए हुए बयानो को लेकर चर्चा में रहते हैं, चर्चाओं में उन्हें भाजपा का दिग्विजय सिंह कहा जाता है। बता दे कि इसके पूर्व वह तत्कालीन निगमायुक्त सभाजीत यादव को जिंदा दफनाने,आरक्षण मुद्दे सहित सरपंची की लड़ाई व अन्य मामलो में दिए गए बयान चर्चाओं में रहे।