रीवा। मेडिकल कॉलेज डीन को एक ज्ञापन समाजसेवियों द्वारा दिया गया है, इस ज्ञापन में उन्होंने आयोजित परीक्षा में हुए फर्जीवाड़े को लेकर आरोप भी लगाए है। इसमें बड़े चिकित्सकों सहित स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत अधिकारी-कर्मचारियों के नाम आए है। जांच की मांग की गई है व परीक्षा का आयोजन दोबारा कराए जाने की मांग की गई है। मेडिकल कॉलेज के नवागत डीन डॉ.देवेश सारस्वत ने भी कार्यवाही का आश्वासन समाजसेवियों को दिया है। जांच की जा रही है।
क्या है मामला…
मेडिकल कॉलेज रीवा डीन को सौंपे गए ज्ञापन में बताया गया कि हॉल ही में मप्र राज्य एड्स नयंत्रण समिति भोपाल द्वारा एआरटी सेंटर में रिक्त पदों के लिए रिक्तियां निकाली गई थी जिसमें यह अंकित नहीं था कि लिखित परीक्षा अंगे्रजी माध्यम से कराई जाएगी। डाटा इंट्री, काउंसलर एवं लैब टेक्रीशियन जो कि हिंदी मीडियम के छात्र र्है उनकी लिखित परीक्षा अंग्रेजी माध्यम से गत 28 फरवरी 2022 को कराई गई। जो कि अन्याय पूर्ण है। इससे यह प्रतीत होता है कि ऐसा अपने चहेते व संबंधियों को लाभ पहुंचाने के लिए किया गया है। बताया गया कि गलत तरीके से अपने चहेतो को नंबर बढ़ाकर उनको आगे कर दिया गया है व योग्य परीक्षार्थियों को बाहर कर दिया गया है। इसलिए टॉप में आने वालो को वहीं पेपर देकर फिर परीक्षा ली जाए देखा जाए कि वह कितने अंक हाशिल करते है। परीक्षा को निरस्त कर फिर से कराए जाने की मांग की गई है।
इनका टॉप में नाम
आवेदन में बताया गया कि टॉप में जो आए है उनमें से लैब टेक्रिशियन पद में लिखित परीक्षा में एआरटी केन्द्र के नोडल अधिकारी डॉ.हरिओम गुप्ता के लैब में कार्यरत प्रमोद गुप्ता को 50 से 35 अंक दिए गए है। जो मैरिट सूची में प्रथम है वहीं इसके अलावा एआरटी सेंटर में ही कार्यरत डाटा मैनेजर अरशद हुसैन की पत्नी इमराना बेगम का पहला नंबर है, जिनको 50 से 42 नंबर दिए गए है। बाकि किसी अभ्यर्थी को इतना अंक प्राप्त नहीं हुआ है। फर्जीवाड़े का आरोप समाजसेवियों ने लगाया है। ज्ञापन सौंपने वालो में सामाजिक कार्यकर्ता शेषमणि शुक्ला, प्रतिमा सिंह बघेल, राजेश चतुर्वेदी सहित अन्य शामिल रहे।