रीवा। नगर निगम में निकॉय चुनाव को लेकर बनाई गई मतदाता सूची में बड़ी लापरवाही सामने आई हैं, वार्ड क्रमांक 29 से दो दफा निर्वाचित हो चुके वरिष्ठ कांग्रेस पार्षद का वोटर लिस्ट से नाम ही गायब है, इतना ही नहीं एक दफा निर्वाचित पार्षद उनकी पत्नी सहित पूरे परिवार का नाम वोटर लिस्ट से गायब है। वह चुनाव लडऩे की तैयारी में थे लेकिन वोटर लिस्ट में नाम गायब होने से वह परेशान है। अब प्रशासनिक अधिकारी भी उनकी सुनवाई नहीं कर रहे हैं। पूर्व पार्षद रामप्रकाश तिवारी डैडू ने बताया कि उनका व उनके परिवार के सभी सदस्यों का नाम वार्ड क्रमांक 29 की वोटर लिस्ट से काट दिया गया है, उन्होंने बताया कि इस संबंध में उन्हें कोई सूचना भी नहीं दी गई और न ही बीएलओ ने उन्हें जानकारी दी। वह इस वर्ष भी पार्षदी के चुनाव की तैयारी कर रहे थे और जब इस संबंध में दस्तावेज तैयार किए जाने लगे तो उनके वार्ड की मतदाता सूची से उनका नाम ही गायब है। इस संबंध में शिकायत लेकर गए तो अधिकारी किसी प्रकार का कोई जवाब देने को तैयार नहीं हैं और न ही किसी प्रकार की कोई सुनवाई की जा रही है। माना जा रहा है कि हर वर्ष चुनाव में अपना कब्जा जमाने वाले कांग्रेस प्रत्याशी से डर के चलते नाम काट दिया गया ताकि इस वर्ष भाजपा के प्रत्याशी को चुनाव जिताया जा सके। इसे प्रशासन की बड़ी लापरवाही माना जा रहा है। पूर्व पार्षद का कहना है कि यदि नाम नहीं जोड़ा जाता है तो वह न्यायालय की शरण लेंगे।
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मतदाताओं के बदले गए वार्ड
वहीं रामप्रकाश तिवारी डैडू ने बताया कि उनके वार्ड से उनका व उनके परिवार का ही नहीं उनके कुछ रिश्तेदारों सहित अन्य वार्ड के पुराने रहवासियों का नाम काट दिया गया है और उनका नाम वार्ड क्रमांक 21 में कर दिया गया है, जबकि वह वार्ड 29 के पुस्तैनी निवासी हैं। इस प्रकार से नाम काटा जाना पूरी तरह से गलत है। बताया गया कि वह वार्ड क्रमांक 21 से चुनाव लडऩे की तैयारी में थे।
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भाजपा पर मनमानी का आरोप
रामप्रकाश तिवारी डैडू ने कहा कि वह तीन पंचवर्षीय से नगर निगम के वार्ड 29 से पार्षद निर्वाचित हो रहे है और जनता के मुद्दे पर वह हमेशा लड़े है और सत्ताधारी नेताओं का विरोध किया, इसी का परिणाम है डर से उनका नाम ही काट दिया गया ताकि वह चुनाव ही न लड़ सके, उन्होंने कहा कि भाजपा पार्टी के दबाव में जिम्मेदार अधिकारी-कर्मचारियों ने ऐसा किया है और प्रशासन अब सुनने को तैयार नहीं है, यदि नाम नहीं जोड़ा गया तो वह न ही वोट डाल सकेंगे और न ही चुनाव लड़ सकेंगे। मांग की है कि इस पर सुधार किया जाए ताकि वह चुनाव लड़ सके और अपने मतों का प्रयोग कर सके।
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