रीवा। गांधी मेमोरियल अस्पताल के गायनी विभाग के डॉक्टरों की लापवाही ने परिवार की सारी खुशियां छींन ली। कुछ दिन में घर में किलकारी गूंजने वाली थी लेकिन खुशियां मातम में बदल गई। गर्भवति महिला को डिलिवरी के लिए भर्ती किया गया था। खून की कमी बताई गई। पति 5 हजार रुपए में दो यूनिट खून भी लेकर आया लेकिन चढ़ाने में देरी की गई। महिला की जान चली गई। बच्चे का दम भी कोख में ही घुट गया। प्रबंधन मामले की जान कर रहा है।
विंध्य के सबसे बड़े अस्पताल में इलाज का ही रोना है। यहां आए दिन हंगामा होता है। मरीजों की जान लापरवाही में चली जाती है। यहंा डॉक्टर और स्टाफ मरीजों के परिजनों की सुनते ही नहीं है। सबसे बुरी हालत गायनी विभाग की है। यहां हर दिन बवाल मचता है। बुधवार की रात को भी हंगामा हुआ। यहां गोविंदगढ़ थाना अंतर्गत गहिरा गांव की उर्मिला दाहिया को डिलिवरी के लिए भर्ती किया गया था। महिला एनीमिक थी। खून की कमी थी। परिजनों को खून की व्यवस्था करने के लिए कहा गया। परिजनों ने किसी तरह बाहर से रुपए खर्च कर खून की व्यवस्था की। खून लेकर आए लेकिन फिर भी महिला की मौत हो गई। परिजनों ने अस्पताल परिसर में जमकर हंगामा मचाया। परिजनों ने आरोप लगाया है कि चिकित्सकों की लापरवाही से बुधवार की देर रात जच्चा और बच्चा दोनों की मौत हो गई। पति और परिजन ने खून चढ़ाने में देरी का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि यदि समय पर खून चढ़ा दिया जाता तो दोनों की जान बच जाती।
यहां डॉक्टरों के हैं प्राइवेट अस्पताल
एसजीएमएच के गायनी विभाग की हालत दयनीय है। यहां सभी गायनी के डॉक्टरों का निजी अस्पताल है। कई प्राइवेट अस्पताल में सेवाएं देते हैं। ऐसे में सीनियर डॉक्टर मरीजों की तरफ ध्यान भी नहीं देते। इतना ही नहीं यहां भर्ती मरीजों को निजी अस्पताल में भर्ती करने के लिए भी बाध्य करते हैं। गरीबों का इलाज तक मुश्किल रहता है। प्राइवेट प्रैक्टिस के कारण ही यहां की दुर्गति हो गई है। जच्चा और बच्चा मर रहे हैं।
बाहर से खरीद कर लाए थे ब्लड
गायनी विभाग मेंं डिलिविरी के लिए भीड़ लगती है। यहां लंबी वेटिंग चलती है। जिला अस्पताल और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रो के मामले भी यहां भेज दिए जाते हैं। अधिकांश गर्भवति महिलाएं एनीमिक ही रहती है। इन्हें रक्त की हर समय जरूरत बनी रहती है लेकिन इन्हें एसजीएमएच के ब्लड बैंक से खून की उपलब्धता सुनिश्चित नहंी हो पाती। इसी का शिकार गर्भवति महिला का परिवार हुआ। अस्पताल से ब्लड नहीं मिला तो बाहर से निजी ब्लड बैंक से खून खरीदकर लाना पड़ा। उसे भी चढ़ाने में डॉक्टरों ने आनाकानी की। परिजनों को कई तरह की धमकियां दी। बाहर का खून न चढ़ाने की बात कही।
वर्सन…
महिला की तबीयत पहले से खराब थी। फीवर आ रहा था। एक ब्लड लग गया था। दूसरा ब्लड भी लगाया जा रहा था। तबीयत ज्यादा बिगड़ गई और मौत हो गई। अटेंडर का फोन आया था। शिकायत की है। मामले में देखते हैं क्या है।
डॉ अवतार ङ्क्षसह
अधीक्षक, एसजीएमएच रीवा
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