रीवा। नगरीय निकाय चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया आगामी 11 जून से शुरू होने जा रही है। ऐसे में पार्षद व महापौर पद के दावेदारो ने नगर निगम सहित अन्य कार्यालयों कर चक्कर काटने शुरू कर दिए हैं अब आपको लग रहा होगा कि बिना पद मील ऐसा क्यों किया जा रहा है तो हम आपको बता दें कि यह धौड़ पार्षद व महापौर चुनाव में खड़े होने के लिए नगर निगम व अन्य नगर परिषदों से लगने वाली एनओसी के लिए है। क्योंकि पार्षद के ऐसे दावेदार जो किराए के मकान में रह रहे हैं या उनका मकान परिवार के किसी अन्य सदस्य के नाम पर है तो उन्हें नगर निगम व नगर परिषद एनओसी नहीं दे रहा है। पिछले एक हफ्ते में कार्यालयों में ऐसे दर्जनों मामले प्रकाश में आ चुके हैं। सैकड़ो लोंग एनओसी के लिए पूछताछ कर चुके हैं, लेकिन अधिकारियों ने उन्हें इंकार कर दिया। नामांकन फॉर्म के साथ निगम की एनओसी जमा करना जरूरी है। दावेदारों की परेशानी यह है कि कहीं एनओसी नहीं होने के आधार पर उनका नामांकन निरस्त नहीं हो जाए। नगर निगम चुनाव के लिए 11 जून से नामांकन शुरू होने हैं। नामांकन के लिए दावेदारों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। नगर निगम के अफसर बताते हैं कि पिछले एक हफ्ते में हर जोन में रोज 2 से 4 ऐसे लोग एनओसी के लिए आ रहे हैं, जिनके नाम से कोई प्रॉपर्टी नहीं है। वे या तो किराए के मकान में रहते हैं या उनका मकान पिता, भाई, पत्नी या किसी अन्य परिजन के नाम से है। टैक्स जमा करने के बाद भी दावेदार के नाम से एनओसी जारी नहीं हो रही है। 2015 के नगर निगम चुनाव का एक फॉर्मेट प्रचलन में था, जिसमें ऐसे लोगों को भी एनओसी दी जा रही थी जिनके नाम से कोई प्रॉपर्टी नहीं है। वंही बिजली का बिल, प्रॉपर्टी टैक्स, निगम की दुकान का किराया व पानी का बिल जमा करने के साथ मकान-दुकान आदि के लोन व चल-अचल संपत्ति का वैल्यूएशन आदि के लिए नेता और उनके समर्थक सरकारी दफ्तरों व बैंकों के चक्कर काट रहे हैं।
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