रीवा। समाज और युवाओं में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति उन्हें अपराध की ओर ले जा रही है। नशे के कारण परिवार भी टूट रहे हंै। नशे की इस बढ़ती प्रवृत्ति को लेकर पिछले 13 सालों से लगातार भीख मांगकर और जूते साफ का नशा छुड़वाने में सुजीत द्विवेदी को सफलता मिली है। इस तरह लगभग वह 30 हजार लोगों से नशा छुड़वा चुके हैं। वहीं इस नशामुक्ति अभियान में 70 हजार लोगों को जोड़ चुके हैं। भारत नशा मुक्ति के अभियान में वह अकेले नहीं बल्कि उनके बेटे व परिवार भी शामिल हैं। नशा के कुप्रभावों को लेकर जनजागरुकता के लिए उन्होंने 30 हजार किलोमीटर की यात्रा की है। नशा मुक्ति अभियान को लेकर सुजीत द्विवेदी बताते हैं कि वर्ष 2009 में एक सड़क हादसे के कारण इसकी शुरुआत हुई। इसके पहले वह एक सफल व्यवसाई थे, लेकिन नशा की वजह से हुई इस घटना के बाद उन्होंने अपना व्यवसाय बंद कर नशामुक्ति अभियान की शुरुआत की। इस दौरान उन्होंने नशा के कुप्रभावों सेे लोगों को बचाने लोगों से भीख में नशा छोडऩे का वचन लिया। इसके साथ ही दिल्ली के जंतर मंतर में नशा करने वाले युवाओं के जूते तक साफ किया। वर्तमान में जिले में नशा मुक्ति के लिए हस्ताक्षर अभियान चला रहे हंै। इसमें उन्होंने 2 लाख लोगों को नशा छुड़वाने के लिए फार्म भरवा रहे हंै। अभी इस अभियान में 21 हजार लोगों के नशा नहीं करने का संकल्प लिया है।
शहर में बिनी दो ट्रक कोरेक्स की शीशियां
सुजीत बताते हैं कि शहर में इन दिनों युवाओं में शराब के अतिरिक्त दवाई के माध्यम से नशे की प्रवृत्ति बढ़ रही है। इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हंै कि उन्होंने शहर में नशा मुक्ति अभियान में खाली शीशियां बिनना शुरु किया दो ट्रक से अधिक कोरेक्स की खाली शीशियां बिन डालीं। युवाओं में नशे की बढ़ती प्रवृत्ति से उनके सोचने की क्षमता प्रभावित होती है। साथ ही उनके शरीर और स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
नशा मुक्ति भारत अभियान से जुड़कर जिन लोगों की शराब के क ारण जिंदगी नरक थी, अब नशा छोडऩे के बाद उनके व परिवार के जीवन स्तर में सुधार हुआ है। इनमें एक हैं शिक्षक श्यामलाल मिश्रा जो कि शराब का बहुत ज्यादा करते थे, लेकिन नशा मुक्त भारत अभियान से जुडऩे के बाद उन्होंने नशा छोड़ दिया है। इसी तरह स्वास्थ्य विभाग में सेवा करने वाले इंद्रबिहारी ने नशा से तौबा किया है। उन्होंने कहा कि कोराना संक्रमण काल में बड़ी संख्या में नशे की सामग्री नहीं मिलने के कारण काफी लोगों ने नशा छोड़ा था।
नशे के कारोबार पर लगे नकेल
उन्होंने कहा कि वर्तमान में नशा से युवाओं को बचाने के लिए नशे के कारोबार को पूरी तरह से नके ल लगाने की जरुरत है। अभी कार्रवाई तो हो रही है, लेकिन इस पर औपचारिकता ज्यादा है। वहीं नशा मुक्ति के लिए परिवार सबसे अहम भूमिका निभा सकता है। ऐसे में बच्चों को नशा करते देख उन्हें इसके कुप्रभावों को बताकर दूर करने का प्रयास सभी को करना चाहिए।
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