सतना. नवरात्र में जहां लोगों को कन्या पूजन के लिए बेटियों को मोहल्ले में तलाशना पड़ता है, वहीं शहर में एक ऐसा गरीब परिवार भी है जिसके घर में 15 साल में नौ कन्याओं ने जन्म लिया। नवरात्र में इस परिवार को नौ कन्याओं की पूजा के लिए कन्या तलाशने की जरूरत नहीं है। नवमी कन्या ने बीते माह नवरात्र से पहले कल्लू के घर जन्म लिया है, जिसका नाम रखा है अनू। सिंधी कॉलोनी की टपरिया बस्ती में रहने रहने वाला कल्लू वंशकार महज 30 साल की उम्र में एक-दो नहीं, नौ बेटियों का पिता बन गया है। नवमीं बेटी को जन्म देने वाली पिंकी वंशकार का कहना है कि एक बेटे की चाहत में परिवार बढ़ता गया और वह नौ बेटियों की मां बन गई। अब वह और बच्चे नहीं चाहती। इसलिए परिवार नियोजन करा लेगी।
सभी का जन्म घर में हुआ
सरकार जच्चा-बच्चा को सुरक्षित रखने संस्थागत प्रसव को बढ़ावा दे रही है, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि जिला मुख्यालय पर प्रशासन की नाक के नीचे मलिन बस्ती में रहने वाले कल्लू की सभी नौ बेटियों का प्रसव घर में हुआ। संस्थागत प्रसव कराने न आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने पहल की और न आशा कार्यकर्ता घर पहुंची। भगवान भरोसे घर में प्रसव होने के बाद कल्लू की सभी नौ बेटियां स्वस्थ्य और सुरक्षित हैं।
पांच बच्चियां शिक्षा से वंचित
कबाड़ बेच कर परिवार चलाने वाले कल्लू का कहना है कि उसकी चार बेटियों ने कक्षा पांचवीं तक शिक्षा हासिल की है, लेकिन 9 में से पांच बेटियां निरक्षर हैं क्योंकि सरकारी स्कूल में उनका नाम नहीं लिखा जा रहा। कल्लू ने बताया कि नाम लिखवाने जाते हैं तो शिक्षक बेटियों का जन्म प्रमाण पत्र मांगते हैं। जब जन्म प्रमाण-पत्र बनवाने नगर निगम जाता हूं तो वहां पांच सौ की मांग की जाती है। पैसे नहीं हैं, इसलिए उसकी पांच बेटियां शिक्षा से वंचित हो रही हैं। बता दें कि कल्लू की पहली बेटी चंचल 16 साल की। दूसरी वैशाली, तीसरी अनोशी, चौथी पूजा, पांचवीं प्रीती, छठवीं सोनाक्षी, सातवीं आसना, आठवीं अक्षरा तथा नवमी बेटी का नाम अनू रखा है। सबसे छोटी बेटी की उम्र महज एक माह है।
कबाड़ से चल रहा भरण पोषण
कल्लू महज दूसरी कक्षा तक शिक्षित है। उसकी पत्नी 28 वर्षीय पिंकी वंशकार निरक्षर है। दोनों बताते हैं कि बेटे की चाहत में एक-एक कर बेटियां जन्म लेती रहीं और घर का खर्च बढ़ता गया। अब पति-पत्नी कबाड़ बीन कर किसी प्रकार परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं।