रीवा। नगर निगम में वर्तमान में महापौर की कुर्सी पर कांग्रेस का कब्जा है, ऐसे में भाजपा विपक्ष में हैं, भाजपा नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष वार्ड क्रमांक 20 के पार्षद दीनानाथ वर्मा को बनाया है। इस संबंध में आदेश जारी किए गए है, इस आदेश के जारी होने के बाद से ही नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने को लेकर बड़े सवाल खड़े किए जाने लगे। वजह जब महापौर भाजपा का था तब कांग्रेस ने नेता प्रतिपक्ष अजय मिश्रा बाबा को बनाया था, पहले तो सब कुछ ठीक था लेकिन जैसे ही अजय मिश्रा बाबा ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की तो इस पद का ही विरोध होने लगा। कहा जाने लगा कि निगम में नेता प्रतिपक्ष कोई पद ही नहीं है कैसे अजय मिश्रा बाबा नेता प्रतिपक्ष अपने आप को लिख रहे हैं। बता दें कि मामले को लेकर निगम के विधि अधिकारी ने भी अजय मिश्रा बाबा को पत्र लिखकर यह पूछा था कि नेता प्रतिपक्ष वह अपने आप को किस अधिकार से लिखते हैं, इतना ही नहीं नगर निगम के अधिकारी-कर्मचारियों के संघ ने भी इस संबंध में विरोध जताया था और तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष अजय मिश्रा बाबा को आवंटित कक्ष भी वापस ले लिया गया था और उसमें कर्मचारी संघ ने कब्जा जमा लिया था। अब सवाल यह खड़ा किया जा रहा है कि जिस नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने का विरोध भाजपा व निगम अधिकारी कर रहे थे वह अब कैसे मान्य किया जा रहा है, भाजपा ने जब नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने संबंधी आदेश जारी किया तब न ही निगम अधिकारियों ने कोई विरोध किया और न ही कर्मचारी संघ ने इतना ही नहीं विरोध करने वाले भाजपाईयों ने भी चुप्पी साध रखी है जबकि वार्ड क्रमांक 20 के पार्षद दीनानाथ वर्मा अपने आप को लगातार नेता प्रतिपक्ष लिख रहे हैं।
कांग्रेस ने की जांच की मांग
अब मामले ने तूल पकड़ लिया है, इसको लेकर कांग्रेस के पार्षद जांच की मांग कर रहे हैं, उनका कहना है कि जब उस समय नेता प्रतिपक्ष नहीं बनाया जा सकता था तो अभी तो कोई नियम नहीं बदले हैं अब कैसे नेता प्रतिपक्ष बनाया जाने लगा। इस मामले की निगमायुक्त जांच कराए व वार्ड क्रमांक 20 पार्षद दीनानाथ वर्मा से पूछा जाए कि वह किस हैसियत से निगम नेता प्रतिपक्ष अपने आप को लिखते हैं, इतना ही नहीं भाजपा के उन पदाधिकारियों से भी स्पष्टीकरण लिया जाए कि उनके द्वारा आदेश में नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष किस नियम के तहत बनाया गया है। कांग्रेसियों ने आंदोलन की चेतावनी भी दी है।
तो भाजपा के इशारे में हुआ था विरोध?
बता दें कि मामले में अधिकारियों की चुप्पी से आक्रोश कांग्रेसियों में बढ़ता जा रहा है, कहा रहा है कि बीते कई वर्षाे से निगम में नेता प्रतिपक्ष रहें है लेकिन जब बतौर नेता प्रतिपक्ष अजय मिश्रा बाबा ने भ्रष्टाचारियों की पोल खोली व भाजपा द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार व निगम में खेल करने वाले अधिकारियों की पोल खोली तो वह खबड़ा गए और नेता प्रतिपक्ष को ही गलत बताने लगे, भाजपा के इशारे में हंगामे व विरोध प्रदर्शन होते रहे निगम के कुछ चुनिंदा अधिकारी-कर्मचारी भी भाजपा के इशारे में विरोध करते रहे, अब यह अधिकारी-कर्मचारी भी मौन साध के बैठे हैं, इन सब को जवाब देना पड़ेगा, जब नियम नहीं बदले तो वह विरोध क्यों नहीं कर रहे हैं।
महापौर बने तो पीछे घूमने लगे
बता दें कि नगर निगम में जो अधिकारी-कर्मचारी नेता प्रतिपक्ष रहते अजय मिश्रा बाबा का विरोध करते थे और उनके विरोध में आंदोलन प्रदर्शन किए वह अब उनके शुभचिंतक बने घूम रहे हैं, हालांकि बीच में जब भाजपा सरकार गई और कांग्रेस सरकार आई थी तभी अधिकारी-कर्मचारियों ने पाला बदल लिया था लेकिन जब सरकार गिरी तो फिर वह भाजपा की ओर चल पड़े अब फिर मौका देख उनके द्वारा पाला बदल लिया गया है, हालांकि महापौर को उन सभी अधिकारी-कर्मचारियों का विरोध व प्रदर्शन याद है।
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