रीवा। नगर निगम प्रशासन शहर को पिछले तीन वर्षो से थ्री स्टार रेटिंग के लायक मान रहा है, अधिकारियों ने यह बात मानी ही नहीं बल्कि केन्द्र सरकार से इस स्टार रेटिंग का दावा करके सर्वे भी कराया लेकिन दोनो बार निगम को केन्द्र सरकार के सर्वे दल ने झटका दे दिया। इस वर्ष भी निगम को जीरो स्टार रेटिंग थमा दी गई। जबकि हकीकत यह ही है कि निगम जीरो स्टार रेटिंग के काबिल ही है। क्योंकि निगम स्टार रेटिंग के मानको को पूरा नहीं करता है। फाइव स्टार रेटिंग का दावा करने वाला निगम प्रशासन थ्री स्टार रेटिंग के मानकों पर भी फिसड्डी है। विशेषज्ञों की माने तो स्टार रैंकिंग की बेसिक गाइडलाइन कहती है कि ऐसा शहर हो जहां किसी भी दिन के किसी भी समय में किसी भी स्थान पर व्यवसायिक क्षेत्र हो या रहवासी क्षेत्र कहीं कचरा ना दिखता हो। निकलने वाले कचरे का सौ फीसदी वैज्ञानिक तरीके से निष्पादन होता हो। इसके आलावा शहर में निकलने वाले कुल कचरे की मात्रा में कमी आनी चाहिए। जो गाइडलाइन है उसके तहत कहीं भी काम नहीं दिख रहा। जो भी काम दिखा वह सिर्फ सर्वेक्षण के समय ही दिखा था। स्टार रेटिंग सर्वे फिर से होना है और निगम पुराने काजगी रिकार्ड के साथ फाइव स्टार रेटिंग का दावा फिर से करने की तैयारी में है। बता दे कि निगम के स्टार रेटिंग में फिसड्डी होने पर जनप्रतिनिधि लगातार आक्रोश जाहिर कर रहे है और आए दिन गंदगी और कचरा कलेक्शन को लेकर नाराजगी व्यक्त कर रहे है। प्रशासक डॉ.इलैयाराजा टी व निगमायुक्त मृणाल मीना के द्वारा नकेल कसी गई है व लापरवाही अधिकारी-कर्मचारी हरकत मेंं आए है, सर्वेक्षण तक कड़ाई रही तो इस वर्ष निगम को स्टार रेटिंग में अच्छा परिणाम मिल सकता है।
थ्री स्टार के कुछ मानक और मैदानी व्यवस्था…
मानक 1- शहर के न्यूनतम 100 प्रतिशत घरों/परिसरों से कचरा संग्रहण एवं परिवहन अधिकृत संस्था द्वारा किया जाए
हकीकत- शहर के 60-70 प्रतिशत घरों से भी ठीक तरीके से कचरा संग्रहण व परिवहन नहीं हो पा रहा है। आए दिन शिकायते पहुंच रही है।
मानक 2- न्यूनतम 80 प्रतिशत घरों/परिसरों से गीला-सूखा कचरा पृथक्करण
हकीकत- शहर में चल रही कचरा गाडिय़ों मे ही गीला-सूखा कचरा अलग नहीं दिखता, शहरवासी कुछ हद तक जागरूक हुए है लेकिन इतना भी प्रतिशत नहीं है। और जागरूकता की जरूरत है।
मानक 3- सार्वजनिक, व्यावसायिक एवं आवासीय स्थानों में 100 प्रतिशत झाडू प्रतिदिन लगती हो।
हकीकत- सफाई व्यवस्था में निगमायुक्त मृणाल मीना के आने के बाद काफी सुधार हुआ है लेकिन अभी भी शहर के कई क्षेत्र ऐसे है जहां गंदगी का अंबार है और साफ-सफाई पर्याप्त नहीं हो पा रही है। हालांकि सफाई व्यवस्था को दुरुस्त करने अधिकारी काम कर रहे है, यदि सर्वे के समय भी 100 प्रतिशत कार्य किया जाए तो निगम को यह उपलब्धि मिल सकती है लेकिन हर वर्ष आ रही टीम को गंदगी मिल जाती है।
मानक 4- 80 प्रतिशत सार्वजनिक एवं व्यवसायिक क्षेत्रों में 50-100 मीटर में हरे-नीले रंग के कूड़ेदान की उपलब्धता।
हकीकत- पिछले स्टार रेटिग सर्वे में इन बिनो के कारण ही निगम को जीरो स्टार दिए गए है। हालांकि निगम ने बिन लगाने का कार्य शुरु किया है, लेकिन इन बिनो के मानक पर भी सवाल खड़े हो चुके है।
मानक 5- ठोस अपशिष्ट नियम 2016 के अंतर्गत व्यावसायिक क्षेत्रों के समस्त क्षेत्र कचरा उत्पादक द्वारा नियमों का अनुपालन।
हकीकत- शहर में मात्र 60 कचरा उत्पादक ही गाडिय़ों में कचरा डाल रहे है इसके अलावा अधिकतर व्यावसायिक क्षेत्रों का कचरा सड़क से उठाया जा रहा है।
मानक 6- कचरा कलेक्शन के बदले 100 प्रतिशत घरों/परिसरों से प्रभार शुल्क वसूली, खुले में कचरा फेंकने वालों पर अर्थदंड व पॉलीथिन पर प्रतिबंध की प्रक्रिया।
हकीकत- निगम कचरा कलेक्शन की राशि संपत्तिकर के साथ वसूल रहा है, हर वर्ष 100 प्रतिशत नहीं जमा हो पा रही है। कचरा खुले में फेंकने वालों पर कोई अर्थदंड नियमित नहीं वसूला जा रहा है न ही पॉलीथिन पर प्रतिबंध की कोई प्रक्रिया पर विशेष ध्यान है।
मानक 7 – 100 प्रतिशत नालियों एवं बरसाती नालों की सफाई।
हकीकत- नालो की सफाई का कार्य इन दिनो किया जा रहा है, इसी प्रकार से निरंतर कार्य चला तो निगम को सफलता मिलेगी, वहीं नालियां अब भी बजबजाती शहर में आपको मिल ही जाएंगी।
क्या कहते है जनप्रतिनिधि…
पूर्व एमआईसी सदस्य नीरज पटेल का कहना है कि वार्ड 44 में 1800 घर है, इसमें एक कचरा वाहन दिया गया है, इस वाहन से ही कचरा कलेक्शन डोर-टू-डोर होता है, यदि एक मिनट भी गाड़ी घर में खड़ी होती है और वह 24 घंटे चले तो 1440 घरो का कलेक्शन कर पाएगी। हालांकि कलेक्शन में इससे ज्यादा समय लगता है। ऐसे में 100 प्रतिशत कचरा कलेक्शन की बात समझ से परे है। यह स्टार रेटिंग का एक महत्वपूर्ण मानक है। कई वार्डो में यही हाल है, दावा करने से पहले निगम को व्यवस्थाएं बना देनी चाहिए। कम से कम 90 वाहन 45 वार्डो में कचरा कलेक्शन के लिए लगाए जाए तो 100 प्रतिशत कलेक्शन होगा।
निवर्तमान पार्षद अशोक पटेल कहते है कि उनके वार्ड के अधिकतर हिस्से में कचरा वाहन नहीं जाता है, मजबूरन लोग बाहर कचरा फेंकते है और गंदगी होती है। ऐसे में स्टार रेटिंग का दावा करना हास्यास्पद है। निगम को थ्री स्टार के महत्वपूर्ण मानक जैसे 100 प्रतिशत कचरा कलेक्शन, लिटरबिन, 100 प्रतिशत झाड़ू जैसे महत्वपूर्ण मानको पर काम करना चाहिए। वार्ड में सफाई के लिए पर्याप्त लेवर तक नहीं है, इसकी मांग की जाती है लेकिन सुनवाई नहीं होती, ऐसे में 100 प्रतिशत सफाई कैसे होगी। पहले व्यवस्थाएं बनानी चाहिए इसके बाद ही दावे करने चाहिए।
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