रीवा। ठाकुर रणमत सिंह स्वशासी महाविद्यालय में घोटाले की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। दरअसल 22 सालों सरकार में कॉलेज की गवर्निंग बॉडी के गठन को लेकर प्राचार्यो ने सरकार का अंधेरें में रखा। इस संबंध में कोई जानकारी शासन को नहीं दी। वहीं अपने स्तर से अकादमिक ई बॉडी को गवर्निंग बॉडी का प्रभार ले लिया है। इसके बाद लगातार वर्ष 2022 मई तक इसी अकादमिक बॉडी ही प्रभार देखती रही है और अपनी मनमर्जी से मानदेय का भुगतान करती वर्ष 2009 से 2020 तक करते आए। इस दौरान 10 सालों में 14 करोड़ से अधिक का अनियमित भुगतान कर छात्रों की फीस हजम कर गए। बता दें कि वर्ष 1994-1995 में ठाकुर रणमत सिंह को सरकार ने स्वशासी महाविद्यालय घोषित कर दिया है। इसके बाद कॉलेज को अपनी प्रशासकीय समिति गठित करनी थी। इसके अतिरिक्त अकादमिक समिति और फायनेंस समिति बनानी थी। लेकिन यह प्रशासकीय समिति गठित नहीं हो पाई। इसका फायदा उठाते हुए प्राचार्यो ने वर्ष सरकार ने 1998 के अध्यादेश का हवाला देते हुए स्वयं प्रशासनिक समिति का प्रभार एकादमिक समिति को दे दिया,लेकिन सरकार व अन्य उच्च अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं दी। इसके बाद कॉलेज की तीनों समितियों में उक्त तीनों प्राचार्यों ने मनमानी तरीके से मानदेय, निर्माण काम, मरम्मत काम , परिश्रमिक भुगतान, शिक्षकों की नियुक्त में मनमानी प्रकिया चलाई। इतना ही भुगतान भी मनमानी तरीके से करते रहें।
एकादमिक समिति तक नहीं पहुंचे प्रस्ताव
फायनेंस समिति में शामिल प्राचार्यो ने अपने फर्जीवाड़े को अंजाम देने के लिए फायनेंस समिति से प्रस्ताव को कभी अकादमिक समिति तक पहुंचने ही नहीं दिया और ना ही उसका कोई अनुमोदन लिया है। बल्कि फायनेंस समिति से सीधे अपनी ही प्रशासनिक समिति से अनुमति लेकर भुगतान करते रहें। वहीं इससे सरकार बेखबर रहीं।
यह था समितियों को रोल
स्वशासकी कॉलेज की सबसे बड़ी प्रशासनिक समिति होती है। इसमें एक सदस्य राज्य सरकार प्रतिनिध, प्राचार्य एवं एक कॉलेज का नामांकित सदस्य होते है। यह समिति अकादमिक व फॅायनेंस समिति से निर्णयों को स्वीकृत प्रदान करती है।
वर्जन
स्वशासी कालेज में प्रशासकीय समिति गठित होनी थी, लेकिन प्राचार्यो ने यह समिति नहीं गठित की। अब मई 2022 में प्रशासकीय समिति गठित हो गई है।
पकंज श्रीवास्तव, एडी उच्च शिक्षा