रीवा। शासकीय इंजीनियरिंग महाविद्यालय में तीन स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम शुरू हो सकते हैं। महाविद्यालय में सिविल, मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल ब्रांच में एमटेक कोर्स का संचालन अगले सत्र से होना सम्भावित है। इन तीनों नवीन पाठ्यक्रम को संचालित करने महाविद्यालय प्रबंधन ने अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के समक्ष गत अप्रैल माह में आवेदन किया है। इस आवेदन को लेकर विगत 15 जून को एआईसीटीई मान्यता समिति के अधिकारियों के साथ महाविद्यालय अधिकारियों की ऑनलाइन मीटिंग हुई है। इस मीटिंग में एआईसीटीई ने महाविद्यालय को एनओसी दे दी है। हालांकि अभी कुछ दस्तावेजों को लेकर मामला रूका है। आगामी 28 जून को पुन: ऑनलाइन मीटिंग होनी है, जिसमें सब ठीक रहा तो अगले सप्ताह तक महाविद्यालय को पहली दफा स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम की मान्यता मिल जायेगी। यानि लम्बे समय बाद महविद्यालय में 3 नए कोर्स संचालित होते दिखेंगे। इसमें भी वह स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम, जिनकी मांग पिछले काफी समय से उठ रही थी और महाविद्यालय द्वारा प्रयास किए जाने पर भी ये चालू नहीं हो पा रहे थे।
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एक्रीडिटिएशन मिलने से खुला रास्ता
बताते हैं कि पहले महाविद्यालय की किसी भी ब्रांच को नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रीडिटिएशन (एनबीए) से एक्रीडिटिएशन प्राप्त नहीं हुआ था। इस कारण अब तक महाविद्यालय को स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम शुरू करने में कठिनाई होती रही। अब चूंकि गत अक्टूबर 2021 में एनबीए ने महाविद्यालय की 3 ब्रांच को एक्रीडिटिएशन प्रदान कर दिया है। ऐसे मेें संंबंधित 3 ब्रांच में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम प्रारम्भ करने का रास्ता साफ हो गया है।
अगस्त में हुआ था एनबीए मूल्यांकन
उल्लेखनीय है कि काफी प्रयास के बाद कोरोनाकाल के बीच विगत 27 से 29 अगस्त 2021 तक एनबीए की टीम ने महाविद्यालय का ऑनलाइन व ऑफलाइन मूल्यांकन किया था। इस मूल्यांकन की रिपोर्ट दिल्ली में जमा हुई। तदुपरांत अक्टूबर 2021 में एनबीए ने महाविद्यालय की तीन ब्रांच को एक्रीडिटिएशन दिया, जिसमें सिविल, मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल ब्रांच शामिल रहीं। अब इन्हीं 3 ब्रांच में महाविद्यालय ने स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम शुरू करने की योजना बनाई है।
एमटेक के लिए जाना पड़ता है दूसरे शहर
गौरतलब है कि अभी महाविद्यालय में सिविल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक व कम्प्यूटर साइंस ब्रांच में स्नातक पाठ्यक्रम संचालित हैं। इन पाठ्यक्रमों में अध्ययनरत् छात्रों को अभी तक स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने दूसरे शहरों में जाना पड़ता है। कुछ समय पहले महाविद्यालय ने सिविल ब्रांच से वाटर मैनेजमेंट में एमटेक कोर्स शुरू करने की योजना बनाई थी परंतु वह एनबीए से ब्रांच एक्रीडिटिएशन न होने के कारण सफल नहीं हुई। अब इस बार स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम संचालित होने के आसार ज्यादा हैं, जिससे स्थानीय छात्रों को कुछ फायदा मिल सकता है।
हमने एआईसीटीई के समक्ष आवेदन किया था। आवेदन को लेकर अभी विगत 15 जून को ऑनलाइन मीटिंग हुई है। जल्दी ही एआईसीटीई मान्यता संबंधी निर्णय दे देगा।
प्रो. बीके अग्रवाल, प्राचार्य
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