सतना. भगवान श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट में भाद्रपद मास की अमावस्या पर्व पर शनिवार को आस्था का संगम उमड़ पड़ा। देश के कोने-कोने से आए श्रद्धालुओं ने पुण्य सलिला मां मंदाकिनी गंगा में डुबकी लगाई।
इसके बाद भगवान कामतानाथ में माथा टेका और कामदगिरि की परिक्रमा लगाकर परिवार के सुख समृद्धि की कामना की। प्रशासन की मानें तो लगभग 8 लाख श्रद्धालुओं ने मंदाकिनी में स्नान कर भगवान के दर्शन किए।बताया गया कि एक दिन पहले से श्रद्धालुओं के चित्रकूट पहुंचने का सिलसिला शुरू हो चुका था। कामतानाथ में भक्तों की ऐसी भीड़ उमड़ी कि एमपी-यूपी प्रशासन को भीड़ को कुछ समय रोक रोक कर दर्शन के लिए छोड़ना पड़ा।
पूरा परिक्रमा मार्ग जय श्रीराम और जय कामतानाथ के नारों से गूंजता रहा। मप्र और उप्र के अधिकारियों ने जगह-जगह पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे।लाखों की संख्या में भीड़ अपने अपने वाहनों से पहुंची, तो हजारों श्रद्धालु दूर-दूर के गांवों से पैदल यात्रा कर चित्रकूट पहुंचे। बताया गया कि मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के कई दर्जन गांवों से एक दिन पहले ही श्रद्धालुओं का जत्था चित्रकूट के लिए रवाना हो चुका था, जो रात में या शनिवार की सुबह पहुंचा।
मंदाकिनी में स्नान करने के बाद दर्शन और परिक्रमा कर पुन: पैदल अपने घर को लौटे। इसके अलावा धर्मनगरी क्षेत्र के जानकीकुंड, गुप्त गोदावरी, सतीअनुसइया आश्रम, भरतकूप आदि धार्मिक स्थलों में भी श्रद्धालुओं ने दर्शन किए।मध्यप्रदेश के हनुमानधारा, रजौला, पीलीकोठी, ग्रामोदय विश्वविद्यालय, नयागांव पुल और उत्तरप्रदेश में बेड़ी पुलिया, शिवरामपुर, खोही, यूपी तिराहा, निर्मोही अखाड़ा के पास बैरियर लगाए गए। इन स्थानों पर वाहनों को रोका गया।
यहां से बिना वाहनों के ही मेला क्षेत्र में सभी को प्रवेश दिया गया। कारण, मेला क्षेत्र में वाहनों की आवाजाही के कारण व्यवस्थाएं बेपटरी होने लगती थी। जगह-जगह जाम की समस्या होने से श्रद्धालुओं को परेशानियों का सामना भी करना पड़ा।