रीवा। शहर के महापौर प्रत्याशी के लिए कांग्रेस ने अजय मिश्रा बाबा को आगे किया है, यूं तो जनता के लिए अजय मिश्रा बाबा का नाम नया नहीं है और शहर की जनता सहित जिले भर में जनता के लिए किए गए उनके संघर्ष लोगो के सामने हैं लेकिन हम आपको अजय मिश्रा बाबा से जुड़ी कुछ जानकारियां देने जा रहे हैं जो उनको महापौर पद के लिए मजबूत दावेदार बनाती हैं।
अजय मिश्रा का यह है प्लस प्वाइंट
कांग्रेस से महापौर का चेहरा बन कर सामने आए अजय मिश्रा के कई प्लस प्वाइंट है। इसमें सबसे बड़ी बात जमीनी कार्यकर्ता का होना है। नगर निगम में इनकी पकड़ अच्छी है। वार्डों में भी इनके कार्य को लोग सराहते हैं। वार्ड में लोगों के लिए अच्छा कार्य किए हैं। मृदु भाषी हैं। लोगों से मिलते जुलते रहे हैं। मिलनसार होने के कारण इनका जनता के बीच का दायरा बड़ा है। नगर निगम के कांग्रेसी पार्षदों में भी इनकी अच्छी पकड़ रही है। कई पार्षद इन पर आंख बंद कर भरोसा करते रहे हैं। भाजपा के खिलाफ अजय मिश्रा बाबा ने कई आंदोलन किए। कांग्रेस सरकार जब सत्ता में आई तब अजय मिश्रा बाबा पूर्व मंत्री के लिए परेशानी का सबब बने थे। नगर निगम आयुक्त और नेता प्रतिपक्ष की जुगलबंदी किसी से छुपी नहीं है। पूर्व मंत्री तक को काफी परेशान किया था।
अजय मिश्रा का परिचय
नाम- अजय मिश्रा बाबा
पिता का नाम स्व. बद्री प्रसाद मिश्रा
जन्मतिथि 19 फरवरी 1971
पता वार्ड 19, पुरानी बड़ी पोस्ट आफिस के सामने घोघर
व्यवसाय ठेकेदारी एवं कृषि
राजनीतिक सफर
वर्ष 1989 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सक्रिय सदस्य बने। तब से लेकर वर्तमान समय में कांग्रेस के सक्रिय सदस्य हैं। छात्र जीवन में जनता महाविद्यालय का उपाध्यक्ष बने। सन 1989-90 में जिला युवक कांग्रेस के महामंत्री रहे। वर्ष 1999 में नगर पालिक निगम वार्ड 17 से वार्षद निर्वाचित हुए। वर्ष 2009 में वार्ड 19 से दूसरी मर्तब पार्षद बने। वर्ष 2014 में लगातार तीसरी मर्तबा वार्ड 17 से भाजपा नेता एवं दो बार के परिषद अध्यक्ष रहे रिपूदमन सिंह को भारी अंतर से पराजित कर पार्षद चुने गए।
पारिवारिक पृष्टभूमि
अजय मिश्रा के बाबा स्व. भाईलाल मिश्रा वर्ष 1952 में सोशलिस्ट पार्टी से सीधी संसदीय क्षेत्र के कनपुरा विधानसभा सीट के विधायक थे। वर्ष 1957 में देवसर विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे। पिता बद्री प्रसाद मिश्रा डिप्टी डायरेक्टर एग्रीकल्चर रहे। अपने बाबा से ही प्रभावित होकर अजय मिश्रा ने राजनीति की तरफ रुख किया। राजनीतिक अभिरुचि भी उन्हीं से जागृत हुई।
इन कार्यों में सुर्खियां बटोरी
पहली मर्तबा वार्ड क्रमांक 17 से वर्ष 1999-2004 तक कांग्रेस पार्टी से पार्षद रहे। साथ में शहर जिला कांग्रेस कमेटी में महामंत्री का दायित्व निर्वहन किए। नगर पालिक निगम रीवा में पार्षद के रूप में कार्य सराहनीय रहा। अजय मिश्रा बाबा ने कई मुद्दों को जन आंदोलन बनाया था। नगर निगम में आई स्वीपिंग मशीन में किया गया बड़ा घोटाला सामने लाया जिसमें 1.82 करोड़ का गोलमाल किया गया था, इसी बीच आई सीवरेज योजना में जिस केके स्पन कंपनी को ठेका दिया गया था उसका विरोध इनके द्वारा परिषद् में किया गया और उसकी जांच के लिए लोकायुक्त सहित शासन व केन्द्र स्तर पर पत्राचार किए, परिणाम रहा कि अंतत: केके स्पन कंपनी को निगम को ब्लैक लिस्टेड करना पड़ा और कंपनी काम नहीं कर पाई, इसके अलावा पेयजल के लिए लाई गई सीएमआर कंपनी पर निगम अधिकारियों द्वारा की गई करोड़ो की मनमानी को उजागर किया, स्वीपिंग मशीन किराए से लेने के लिए 4 करोड़ से अधिक क टेंडर किया गया उसका विरोध किया और मशीनों को वापस लौटवाया, ननि कार्यालय में गौवंश दफन किए गए जिसका खुलासा और जमकर विरोध किया गया। संबल कार्ड को लेकर विरोध जताया जिसमें उन पर एफआईआर तक हुई और बाद में क्लीन चित दी गई और जांच में मामला सही भी मिला, 30 हजार से अधिक लोगो के कार्ड निरस्त किए गए। सबसे बड़ा प्लस प्वाइंट नगर निगम का नेता प्रतिपक्ष होते हुए कांग्रेस सहित भाजपा पार्षदों के वार्डो में जनता की समस्याओं के लिए खड़े हुए, जनता के लिए हुए विरोध में समर्थन किया इसके अलावा भी नगर निगम में हुई टेंडर फिक्सिंग सहित अन्य मामलो में विरोध किया। नेता प्रतिपक्ष होते हुए नगर निगम में कार्यरत अधिकारी-कर्मचारी के प्रमोशन का मुद्दा उठाया हमेशा उनके अधिकारों के लिए लड़ते रहे और शहर सरकार का विरोध किया। समदडिय़ा बिल्डर का जमकर विरोध किया, कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी तक ने बाबा के उठाए इस मुद्दे पर सरकार को घेरा, पूर्व मंत्री राजेन्द्र शुक्ला के लिए परेशानी का सबब बने रहे, इनके उठाए मुद्दे पर राजेन्द्र शुक्ला को 4.92 करोड़ का वसूली पत्र जारी किया गया। बाबा के साथ सबसे प्लस प्वाइंट यह है कि पार्टी के बड़े पदाधिकारियों से लेकर एक छोटे कार्यकर्ता तक सबका समर्थन उनके पास है।