कोविड काल में निजी स्कूलों की फीस भरने के लिए अभिभावकों के पास रुपए नहीं थे। कईयों की नौकरी चली गई थी। व्यापार चौपट हो गया था। गुजर बसर तक मुश्किल था। हालात बुरे हो गए थे। ऐसे में अभिभावकों ने बच्चों की शिक्षा से भी समझौता कर लिया था। निजी स्कूलों से नाम कटवाकर बच्चों को सरकारी स्कूलों में दाखिला दिया था था। तभी तो सरकारी हाई और हायर सेकेण्डरी स्कूल ने नामांकन के मामले में रिकार्ड कायम किया था। शैक्षणिक सत्र 2020-21 में रीवा की हाई और हायर सेकेण्डरी स्कूलों में दाखिला 6 फीसदी तक बढ़ गया था। यह अब तक का रिकार्ड रहा। कोविड के बाद हालात सामान्य हुए तो अभिभावकों ने राहत की सांस ली। बच्चों केा निजी और बड़ी स्कूलों में दोबारा दाखिला कराने की सोची लेकिन कामयाब नहीं हुए। निजी स्कूलों ने फीस इतनी बढ़ा दी कि कईयों की पहुंच से ही बाहर हो गए। इतना ही नहीं कई अभिभावकों ने इस साल भी निजी स्कूलों से बच्चों को बढ़ी हुई फीस के कारण ही नाम कटवा लिया। सरकारी स्कूल में दाखिला करा रहे हैं। इस साल भी नामांकन की संख्या में इजाफा होने का आसर है। यूडाइस में जानकारी अपडेट हो चुकी है।
इन सरकारी स्कूलों की ज्यादा है डिमांड
प्राइवेट में बच्चों को पढ़ा पाने में असक्षम अभिभावक रीवा में सरकारी स्कूलों को विकल्प के रूप में चुन रहे हैं। सरकारी स्कूलों में भी शिक्षा का स्तर बेहतर हो रहा है। पिछले कुछ सालों से हाई और हायर सेकेण्डरी के रिजल्ट में भी सुधार आया है। इसके अलावा अंग्रेजी माध्यम से भी पढ़ाई सरकारी स्कूलों में हो रही है। यही वजह है कि सरकारी स्कूलों को भी प्राथमिकता में लिया जा रहा है। पीके स्कूल कन्याओं के लिए, मार्तण्ड स्कूल क्रमांक एक और मॉडल स्कूल छात्रों की पहली पसंद में है। मार्तण्ड स्कूल क्रमांक दो, गवर्नमेंट एक और दो, समान स्कूल में भी छात्र प्रवेश ले रहे हैं।
कई गुना ज्यादा बढ़ा दी गई है फीस
कोविड के बाद स्कूलें खुली तो फीस में बेतहासा वृद्धि कर दी गई है। निजी स्कूलों में 12 से 30 फीसदी तक फीस में इजाफा किया है। जितनी बड़ी और नामी स्कूलें है। उन्होंने सबसे ज्यादा नियम और कायदेें तोड़े हैं। बिना जिला समिति के अनुमोदन के ही स्कूलों की फीस बढ़ा दी है। यही वजह है कि अभिभावक निजी स्कूलों में बच्चों को पढ़ा ही नहीं पा रहे हैं। फीस की भरपाई ही मुश्किल हो रही है। हद तो यह है कि स्कूलों में फीस बढ़ाने के लिए तीन साल की बाध्यता है। स्कूल की फीस बढ़ाने के लिए जिला समिति की अनुशंसा भी जरूरी है लेकिन इसमें नियमों को धता बताया गया है।
बाक्स….
शैक्षणिक सत्र 2020-21 में कक्षा 9 से 12 वीं तक शासकीय विद्यालयों की छात्र संख्या
ब्लाक कक्षा 9 कक्षा10 कक्षा 11 कक्षा 12 योग
गंगेव 2689 2550 2465 1428 9132
हनुमना 2665 2405 1842 1176 8088
जवा 2386 2233 1897 919 7435
मऊगंज 2038 2109 2219 1366 7732
नईगढ़ी 1890 1870 1402 661 5823
रायपुर 1944 2102 1640 1102 6788
रीवा 4882 5331 5350 3971 19534
सिरमौर 2968 3081 3395 1967 11411
त्योंथर 2122 1818 1563 802 6305
योग 23584 23499 21773 13392 82248
———–
अशासकीय एवं अन्य विद्यालयों की छात्र संख्या
ब्लाक कक्षा 9 कक्षा10 कक्षा 11 कक्षा 12 योग
गंगेव 912 869 724 664 3169
हनुमना 701 771 528 259 2259
जवा 725 747 717 498 2687
मऊगंज 1062 1031 743 515 3351
नईगढ़ी 581 449 432 340 1802
रायपुर 856 758 483 446 2543
रीवा 5743 6092 5133 4607 21575
सिरमौर 1109 1133 1116 737 4095
त्योंथर 1235 1107 1023 727 4092
योग 12924 12957 10899 8793 45573