रीवा। राजनिवास दुष्कर्म काडं के मुख्य आरोपी महंत सीताराम दास उर्फ सामर्थ त्रिपाठी को शनिवार को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया। बता दें कि इस कोर्ट में जब महंत को पेश किया गया तो उसको देखने के लिए लोगो की भीड़ थी, यहां सब तमाशबीन थे, लेकिन इन तमाशबीन के बीच दो आंखे ऐसी भी थी जो बेबशी के साथ अपने बेटे को देखने के लिए तरह रही थी, हालांकि बेटे के काम ऐसे थे कि वह अपनी पहचान छिपाए भीड़ का हिस्सा बने खड़े रहे, वह भीड़ के पीछे अपनी पहचान छुपाए खड़े थे। वह अपने बेटे की एक झलक पाने को बेताब थे। आर्थिक रूप से कमजोर माता पिता पुराने कपड़ों में थे। एक पॉलिथिन साथ में लिए हुए थे। उनके पास अब कुछ नहीं बचा था। बेटा आरोपी बन गया था और प्रशासन ने घर गिरा दिया था। काफी देर तक वह न्यायाधीश कक्ष के बाहर ही खड़े रहे, लेकिन बेटे को देख नहीं पाए।
दूसरे के घर में गुजरी रात
बता दें कि प्रशासन ने सीएम के आदेश के बाद महंत का गुढ़ स्थित आवास जमींदोज कर दिया। माता-पिता बाहर रहते थे इसलिए वह जब शनिवार को रीवा पहुंचे तो उनके पास रहने के लिए घर भी नहीं था, खून-पसीने की कमाई जोड़-जोड़ कर आर्थिक स्थिति की तंगी के बीच घर बनवाया था, उनकी तो सारी पूजी मानो इसी में लगी थी लेकिन महंत के कुकर्मो की सजा उनको दी गई। जब वह गांव पहुंचे तो उनके पास रूकने के लिए मकान नहीं था और वह गांव के किसी सज्जन के घर सहारा लेकर रूके। हालांकि मां-बाप के अच्छे स्वभाव व उनकी सादगी के चलते उन्हें गांव में पहले जैसा प्रेम ही मिला। वहीं ग्रामीणों का यह भी कहना था कि महंत के कुकर्मो की सजा उसके माता-पिता को क्यों दी गई, जो घर गिराया गया वह महंत के माता-पिता की मजदूरी के रुपयो से बना था न कि महंत की जमीन और रुपयो में बना था। प्रशासन को जो भी कार्रवाई करनी चाहिए थी वह महंत के संपत्ति में होनी चाहिए लेकिन मां-बाप की संपत्ति में कार्रवाई नहीं करनी चाहिए थी, क्योकि बेटा गलत कार्य करे यह कोई मां-बाप नहीं सिखाते है और न ही बेटे की गंदी कमाई को रखते हैं। प्रशासन को गरीब और बेसहारा मां-बाप के लिए घर और आर्थिक मदद की मांग की जा रही है।
संजय त्रिपाठी पर 29 मामले हैं दर्ज
संजय त्रिपाठी निवासी पडऱा पर सिविल लाइन थाना, चोरहटा थाना तथा सिटी कोतवाली में कुल 29 प्रकरण दर्ज हैं। संजय त्रिपाठी पर भारतीय दण्ड संहिता की धारा 147, धारा 341, धारा 294, धारा 506 बी, धारा 34, धारा 448, धारा 323, धारा 307, धारा 385, धारा 452, धारा 377, धारा 342, धारा 302, धारा 147, धारा 148, धारा 149, धारा 386 तथा धारा 109 के तहत प्रकरण दर्ज हैं। इसी तरह आरोपी के विरूद्ध आम्र्स एक्ट की धारा 25 तथा 27, सट्टा एक्ट 4 क, अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत भी प्रकरण दर्ज है। आरोपी द्वारा वर्ष 1988 से वर्ष 2003 की अवधि में विभिन्न आपराधिक कृत्य किए गए। उसके विरूद्ध हत्या तथा हत्या के प्रयास जैसे संगीन प्रकरण दर्ज किए गए हैं।
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