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रीवा। एसजीएमएच में चिकित्सकों की लापरवाही से एक मरीज की जान चली गई। मरीज के परिजनों ने गंभीर आरोप मेडिसिन विभाग के चिकित्सकों पर लगाए है। उनकी माने तो मरीज को 12 घंटे तक डाक्टरों ने स्टे्रचर में लेटाए रखा और दवा नहीं दी जिससे उसकी मौत हो गई। वहीं सूत्रों की माने तो सीनियर डाक्टरों के वार्ड में न पहुंचने और जूनियरों के भरोसे पूरी व्यवस्था होने से इस प्रकार की घटनाएं रोजाना घट रही है और मामलो को दबा दिया जाता है। जानकारी के मुताबिक गढ़ क्षेत्र के रहने वाले राजीव तिवारी पिता स्व.गणेश तिवारी उम्र 30 वर्ष को गुरुवार की रात करीब 10 बजे परिजन अस्पताल लेकर पहुंचे थे, बताया गया कि घर में तबियत बिगडऩे के बाद उसे अस्पताल लाया गया। जहां चिकित्सकों ने बताया कि प्लेटलेट्स डाऊन है और बीपी लो था, जिसके बाद उसको इमरजेंसी से मेडिकल वार्ड के आईसीयू में भेजा गया। जहां लेकर जब परिजन पहुंचे तो चिकित्सको ने कहा कि सीनियर डाक्टर आएंगे तो आगे का उपचार मरीज का होगा, बताया गया कि पूरी रात परिजन जूनियर डाक्टरों के पास चक्कर काटते रहे लेकिन कोई नहीं आया, सुबह आने की बात जूनियर करते रहे और कहा कि जब वह देखेेंगे तभी उपचार शुरु होगा। स्टे्रचर में ही मरीज को लेटाए रखा वार्ड में बेड तक नहीं दिया गया और न ही उपचार शुुरु किया गया। सुबह करीब 11.30 बजे मरीज की मौत हो गई, जिसके बाद परिजनों का आक्रोश भड़क उठा। परिजनों का आरोप है कि डाक्टरों की लापरवाही से मरीज की मौत हुई है, जूनियर सीनियर का इंतजार करते रहे और सीनियर वार्ड में आए ही नहीं और मरीज की जान चली गई।
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घर का मुखिया था मरीज
बता दें कि चिकित्सको की लापरवाही से जिस मरीज की जान गई वह घर में अकेला था, उसके पिता की मौत के बाद पूरे घर की जिम्मेदारी उस पर ही थी। कुछ वर्ष पहले ही उसकी शादी हुई थी, अब घर में पत्नी व मां सहित दो छोटे बच्चे हैं। जिससे घर पर यह बड़ा संकट आ गया है। परिजनों ने बताया कि आईसीयू में ऐसे ही कई मरीज और थे जिनको उपचार नहीं मिल पा रहा है।
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वार्ड में नहीं आते सीनियर
बता दें कि कहने को विशेषज्ञ सीनियर डाक्टर एसजीएमएच में मरीजों को देखने आते है लेकिन ऐसा है नहीं। सीनियर डाक्टर कभी वार्ड में नहीं जाते, खासकर मेडिसिन विभाग में सबसे अधिक समस्या है, यहां सीनियर चिकित्सक बहुत कम राउंड में आते हैं। बीते तीन दिनों से मेडिसिन विभाग के चौथी मंजिला में एक भी सीनियर डाक्टर नहीं पहुंचे है जिससे मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, रिपोर्ट नहीं देखने से जूनियर भी सीमित दवाओं तक ही उपचार करते हैं।
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घर का मुखिया था मरीज
बता दें कि चिकित्सको की लापरवाही से जिस मरीज की जान गई वह घर में अकेला था, उसके पिता की मौत के बाद पूरे घर की जिम्मेदारी उस पर ही थी। कुछ वर्ष पहले ही उसकी शादी हुई थी, अब घर में पत्नी व मां सहित दो छोटे बच्चे हैं। जिससे घर पर यह बड़ा संकट आ गया है। परिजनों ने बताया कि आईसीयू में ऐसे ही कई मरीज और थे जिनको उपचार नहीं मिल पा रहा है।
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वार्ड में नहीं आते सीनियर
बता दें कि कहने को विशेषज्ञ सीनियर डाक्टर एसजीएमएच में मरीजों को देखने आते है लेकिन ऐसा है नहीं। सीनियर डाक्टर कभी वार्ड में नहीं जाते, खासकर मेडिसिन विभाग में सबसे अधिक समस्या है, यहां सीनियर चिकित्सक बहुत कम राउंड में आते हैं। बीते तीन दिनों से मेडिसिन विभाग के चौथी मंजिला में एक भी सीनियर डाक्टर नहीं पहुंचे है जिससे मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, रिपोर्ट नहीं देखने से जूनियर भी सीमित दवाओं तक ही उपचार करते हैं।
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