रीवा। विंध्य क्षेत्र के सबसे बड़े चिकित्सालय संजय गांधी में एक और उपलब्धि चिकित्सको के मेहनत से मिली है। इस उपलब्धि ने एक बार फिर प्रदेश भर में संजय गांधी अस्पताल का नाम रौशन किया है। उपलब्धि की बात करे तो यहां पदस्थ डॉ.दिनेश कुमार से 100 लिगामेंट सफल सर्जरी एसजीएमएच में की हैं। उनके द्वारा किए गए इस कार्य को लेकर प्रदेश भर में चर्चाएं हो रही है व सफल आपरेशन से मरीजों को नया जीवन भी मिला है। डॉ.दिनेश कुमार एसजीएमएच के सहायक प्राध्यापक आर्थोस्कोपी एवं ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जन हैं। वह हड्डी एवं जोड़ रोग विभाग में पदस्थ है। आर्थोस्कोपी पद्धति से सर्जरी कर उन्होंने रीवा में एक नया इतिहास रचा है।
विदेश में की प्रेक्टिस
बता दें कि डॉ.दिनेश कुमार ने अपनी शिक्षा बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से प्राप्त की है। फिर विदेशों में जाकर डॉ.दिनेश ने प्रख्यात सर्जनों से घुटने एवं कंधो के ऑपरेशन में महारत हासिल की है। यदि लिगामेंट की बात करे तो इसका मतलब दो जोड़ो में दो हड्डियों को आपस में मजबूती से बांधने वाले एक प्रकार की ठोस मांसपेशियों को बोलते है।यह शरीर में विभिन्न जोड़ो के आस-पास पाया जाता है। घुटनों में कई लिगामेंट होते है जिसमें सबसे महत्वपूर्ण एसीएल लिगामेंट होता है।
क्या है लिगामेंट के टूटने का कारण
डॉ.दिनेश कुमार ने बताया कि ज्यादातर लिगामेंट घुटनो की चोट की वजह से टूटते हैं, जैसे खेलते समय घुटनो का मुडऩा, घुटनो के बल सीधा चोट आना एवं उम्र के साथ लिगामेंट का कमजोर होना भी इसका बड़ा कारण है। बताया जाता है कि इसकी सर्जरी इसलिए भी जरूरी है क्योंकि लिगामेंट जोड़ो का संतुलन बनाए रखते है और अगर लिगामेंट टूट जाए तो जोड़ असंतुलित रहता है। जिससे घुटना जल्दी खराब होता है और इससे आर्थाटिस की समस्या का समाना करना पड़ता है।
80 हजार तक होता है खर्च
बता दें कि एसजीएमएच में वैसे तो डॉ.दिनेश कुमार द्वारा प्रबंधन की मदद से अधिकतर आपरेशन आयुष्मान योजना से किए है लेकिन बताया गया कि एक आपरेशन पर अधिकतम 80 हजार रुपए तक का खर्च किया जाता है। बता दें कि आर्थोस्कोपी दूरबीन द्वारा सर्जरी की जाती है, जिसमें घुटने की एडी के पा की मांसपेशियों से नया लिगामेंट बनाया जाता है और उसे घुटने के अंदर स्क्रू एवं एंडोबटन द्वारा फिक्स किया जाता है।