रीवा। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय में नियमों को ताक पर रखा जा रहा है। हालात यह हंै कि साठगांठ के चलते ऐसे लोगों को पीएचडी के आरडीसी के लिए एक्सपर्ट बना दिया गया है जो इसके योग्य ही नहीं हैं। इस बात को लेकर विवि कुलपति के पास शिकायते पहुंचने लगी हैं। हालांकि फिलहाल जिम्मेदार इसे लेकर कोई जवाब नहीं दे रहे हैं। लेकिन इस मामले ने विवि प्रबंधन की कार्यप्रणाली को कठघरे में खड़ा कर दिया है। कुलपति से शारीरिक शिक्षा विभाग से संबंधित पीएचडी आरडीसी के लिए सलेक्ट किए गए विषय विशेषज्ञ को लेकर सवाल खड़े किए गए हैं। शिकायतकर्ता उन्हें बतौर एक्सपर्ट उन्हें अयोग्य बता रहे हैं। बता दें कि इस मामले के उठने से जिम्मेदारों के बीच हड़कंप मच गया है। सूत्रों की मानें तो आपसी साठगांठ के चलते लापरवाही पूर्वक एक्सपर्ट नामित कर दिए गए हैं।
शिकायत में यह बताया
इस संबंध में शोधार्थियों द्वारा की गई शिकायत में बताया गया है कि विश्वविद्यालय में 30 मार्च को शारीरिक शिक्षा विषय में पीएचडी करने वाले शोधार्थियों की आरडीसी होने जा रही है। आरडीसी में जिनको विषय विशेषज्ञ के रूप में नामित किया गया है वह व्यक्ति पीएचडी जैसे महत्वपूर्ण डिग्री कि आरडीसी के विषय विशेषज्ञ के लिए कतई योग्य नहीं है। पंकज त्रिपाठी को बतौर विशेषज्ञ नामित किया गया है जो कि एक निजी स्ववित्तपोषित महाविद्यालय में नवंबर 2021 में नियुक्त हुए हैं। पंकज त्रिपाठी ने चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि 2020 में प्राप्त की है। पंकज त्रिपाठी को ना तो शोध कराने का कोई अनुभव है और ना ही उनको पीजी में पढ़ाने का कोई अनुभव है। वह पूर्व में बुद्धिधर स्ववित्तपोषित डिग्री कॉलेज बाबागंज प्रतापगढ़ में कार्य कर रहे थे और उसके बाद प्रतापगढ़ के ही एक निजी कालेज में बीटीसी डिपार्टमेंट जो कि स्कूल शिक्षा में आता है वहां कार्य कर रहे थे। वर्तमान में श्री विश्वनाथ पीजी कॉलेज जो कि सुल्तानपुर में है और एक निजी स्ववित्तपोषित महाविद्यालय है उसमें निश्चित मानदेय पर सहायक प्राध्यापक पद पर हैं। ऐसे में वह इसके लिए योग्य नहीं हंै।
शोधार्थियों के साथ हो रहा अन्याय
शिकायत में कहा गया कि इस प्रकार के विषय विशेषज्ञ बनाना शोधार्थियों के साथ अन्याय जैसा है। कहा कि पूरे उत्तर भारत, मध्य भारत में शारीरिक शिक्षा के कई उपाचार्य, आचार्य महाविद्यालयों में और विश्वविद्यालयों में 20-20 साल का अनुभव लेकर कार्य कर रहे हैं उनको ना लेते हुए एक अयोग्य अनुभवहीन व्यक्ति को इतने महत्वपूर्ण काम का विषय विशेषज्ञ बना दिया गया, यह छात्रों के हित में न्याय संगत नहीं है। कहा गया कि नियमत: विषय विशेषज्ञ कम से कम नियमित एसोसिएट प्रोफेसर या प्रोफेसर हो, जिसके पास अनुसंधान कराने का अनुभव हो। लेकिन एपीएसयू में नियमों को ताक पर रखकर ऐसे मनमानी एक्सपर्ट नामित कर दिए गए हैं।
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इस संबंध में जानकारी नहीं है, कुलपति व कुलसचिव ही जानकारी दे सकेंगे। जिस व्यक्ति को एक्सपर्ट बनाया गया है उसके संबंध में भी मुझे जानकारी नहीं है, न ही कोई शिकायत आई है।
महेश श्रीवास्तव, विभागाध्यक्ष शारीरिक शिक्षा विभाग एपीएसयू
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