रीवा। ग्राम पंचायतों में भ्रष्ट्राचार कोई नई बात नहीं है। ऐसा कोई ग्राम पंचायत नही है जहां सरपंच, सचिव और रोजगार सहायक जनपद पंचायत के अधिकारियों के साथ मिल कर शासन की राशि का बंदरबाट न किया हो। मनरेगा हो या फिर कोई और योजना जनपद अधिकारियों से लेकर पंचायत के सरपंच, सचिव तक कमाई का जरिया बना हुआ है। कहीं साठ प्रतिशत काम कर सारी राशि निकाल ली गई तो कहीं कागजों में काम कर शासन की राशि डकार ली गई। आश्चर्य की बात तो यह है कि पंचायतों में हुये भ्रष्ट्राचार की शिकायत जनपद से लेकर जिला पंचायत एंव कलेक्टर तक की जाती है लेकिन उसका कोई परिणाम निकल कर सामने नहीं आता है। आये भी क्यों, उनको जो राजनैतिक संरक्षण मिला हुआ है। इन दिनों सेमरिया विधानसभा क्षेत्र सुर्खियों में है जहां एक ओर पूर्व विधायक के सरपरस्तों की पोल खुल रही तो वहीं वर्तमान विधायक की। सेमरिया के पूर्व भाजपा विधायक एंव जिला पंचायत अध्यक्ष के शार्गिद मनीष पटेल सिरमौर जनपद पंचायत के ग्राम पंचायत पटेहरा में हुये भ्रष्ट्राचार का खुलाशा किया है। मजे की बात यह है शागिर्द ऐसे यूट्यूब चैनल का मुखौटा लगा कर गया था जिसे लोग पूर्व विधायक के चैनल के नाम से जानते हैं। गांव का पत्रकार समझ सरपंच, सचिव के विरोधियों की भीड़ लग गई। कुछ तो ऐसे थे जो इस वर्ष त्रि स्तरीय पंचायत चुनाव में अपना भाग्य अजमाना चाहते हैं और कुछ ऐसे भी जो निवर्तमान सरपंच एंव सचिव के भ्रष्ट्राचार का शिकार हुये। बताया कि न तो वहां पात्र लोगों को पीएम आवास का लाभ मिला और न ही कोई अन्य योजना का लाभ मिला। यहां तक की रोजगार सहायक पर आरोप लगाते हुये कहा कि समग्र आईडी बनाने के लिए सौ रुपये तक ले लिये गये। ग्रामीणो ने यूट्यूबर से बताया कि ग्राम पंचायत पटेहरा अंतर्गत खरहरी गांव है जहां आदिवासियों की बस्ती है। आदिवासी बस्ती में रघुनाथ आदिवासी के घर से तिलकधारी आदिवासी के घर तक पीपीसी नाली का निर्माण होना है। जिसकी लिए भेजे गये प्रस्ताव में शासन से लगभग तीन लाख रुपये से ऊपर की राशि स्वीकृति हुई थी। गांव वालों ने सरपंच प्रमोद तिवारी सचिव सोहनलाल कुशवाहा और रोजगार सहायक अंकुर श्रीवास्तव पर आरोप लगाया है कि उक्त राशि से आदिवासी बस्ती में नाली का निर्माण नहीं हुआ है। जबकि कागजों में नाली निर्माण दर्शा दिया गया है। वहीं इस संबंध में रोजगार सहायक सोहनलाल कुशवाहा ने बताया कि नाली निर्माण के लिए राशि निकाली गई थी। लेकिन आचार संहिता लग जाने की वजह से निर्माण कार्य रुक गया है। जिसे पूरा किया जायेगा। यूट्यूबर के सामने गांव खरहरी गांव के ही लोगों ने बताया कि लगभग 50 परिवारों की आदिवासी बस्ती है। लेकिन किसी भी घर में सरपंच, सचिव द्वारा शौचालय को निर्माण नहीं कराया गया है। लोग आज भी शौच क्रिया के लिए बाहर जाते हैं। वहीं शौचालय के नाम पर शासन से स्वीकृत राशि निकाल कर सरपंच, सचिव ने आपस में बंदरबाट कर लिया है। गांव के राजेंद्र तिवारी, रामदीन तिवारी, गायनेदार तिवारी, हीरा आदिवासी, शिवबचन आदिवासी, रामभिक, मंतलाल, हेमराज, नदलला, सरजू, तिलकधारी आदि लोगों ने सरपंच, सचिव सहित रोजगार सहायक द्वारा किये गये भ्रष्ट्राचार की शिकायत उच्च अधिकारियों से किये जाने की बात की है।
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