,रीवा। अक्सर सुर्खियों में रहने वाली विंध्य क्षेत्र के सबसे बड़ी संजय गांधी अस्पताल एक बार फिर लापरवाही के चलते सुर्खियों में है। यहां सीधी के जिला अस्पताल से रेफर की गई 10 साल की बच्ची कई घंटो तक आक्सजीन के लिए तड़पती रही। एसके परिजन आक्सीजन के लिए एसजीएमएच में चक्कर काटते रहे। जैसे तैसे उन्हें आक्सीजन सिलेंडर मिला भी तो वह खाली रहा। जिससे मासूम की हालत और बिगडऩे लगी। हालांकि बाद में दूसरा सिलेंडर लाया गया। वहीं अस्पताल प्रबंधन का दावा है कि इस प्रकार की कोई स्थिति निर्मित नहीं हुई। आक्सीजन की मात्रा पर्याप्त हैं। शुक्रवार को एक वीडियो वॉयरल हुआ तो गुरुवार की रात का बताया गया। जिसमें सीधी से एसजीएमएच पहुंचे मरीज के परिजन बता रहे हैं कि उन्हं आक्सीजन के लिए भटकना पड़ा। परिजनों के अनुसार बच्ची के फेफड़े में पानी आ गया था। जिसके बाद उसे जिला अस्पताल सीधी में भर्ती कराया गया था। वहां से उसे एसजीएमएच रेफर किया गया। मरीज को परिजन लेकर पहुंचे, उसे आक्सीजन देना था लेकिन एसजीएमएच में आक्सीजन सिलेंडर के लिए मसक्कत करनी पड़ी।
40 मिनट तक भटकते रहे
परिजनों के अनुसार वह करीब 40 मिनट तक आक्सीजन के लिए भटकते रहे, एक सिलेंडर लेकर वार्ड व्यॉय पहुचने के 20 मिनट बाद आया लेकिन वह खाली था और वह दूसरा सिलेंडर लेने गया तो करीब 20 मिनट बाद लौटा। जिससे आक्सीजन के लिए बच्ची तड़पती रही और काफी परेशान हुई। आक्सीजन सिलेंडर लेकर आने के बाद उसे लगाने में कर्मचारी समय बर्बाद करते रहे जबकि वह खाली था। इसकी जानकारी वार्ड व्यॉय को नहीं हो सकी।
पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन की उपलब्धता
अस्पताल में आक्सीजन प्लांट होने के बाद भी इस प्रकार की स्थिति निर्मित होने से कई तरह के सवाल खड़े किए जाने लगे। इस संबंध में एसजीएमएच के अधीक्षक डॉ.राहुल मिश्रा ने बताया कि मामला सामने आने के बाद पूरे मामले की जांच कराई गई लेकिन आक्सीजन की पर्याप्त उपलब्धता अस्पताल है और आक्सजीन के लिए मरीजों को परेशान होने जैसी कोई स्थिति निर्मित नहीं हो रही है। उन्होंने बताया कि अस्पताल में आने वाले हर मरीज को अच्छे से उपचार व्यवस्था उपलबब्ध कराई जा सके इसके पूरे प्रयास किए जा रहे हैं।
०००००००००००