रीवा। राजनिवास रेप कांड के मुख्य आरोपी महंत सीताराम दास को मदद के आरोप में जेल पहुंचे संजय त्रिपाठी के दोबारा जेल पहुंचते ही तरह-तरह की चर्चाएं शुरु हो गई है। यह वही संजय है जिसे रीवा ने कई नामो से नवाजा है, कभी इसे ‘दादा भाई’ कहा गया तो कभी यह ‘बाहुबली’ के नाम से नमाजा जाने लगा। यह उस दौर की बात है जब कांग्रेस सरकार थी और इसके नाना पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्व.श्रीनिवास तिवारी की पूरे रीवा में तूती बोलती थी। यही वजह भी थी कि उनके नाती के नाम से मशहूर रहे संजय त्रिपाठी पर शासन प्रशासन भी हाथ डालने से डरता था। नाती की झिझक इतनी खुली की वह अपराध की दुनिया का बेताज बदशाह बन गया, इस दौरान ही उसके खिलाफ 29 अपराध थानों में दर्ज कर दिए गए, इन घटनाओं को अंजाम देने वाला वहीं था, पिता कृषि विभाग में डायरेक्टर और मां लेक्चरर रह चुकी हैं। बावजूद बेटे ने ऐसे कारनामे किए, 1998 से 2003 के बीच कांग्रेस सरकार के समय संजय त्रिपाठी की तूती बोलती थी। चचेरे नाना श्रीनिवास तिवारी के चलते उसकी धाक रीवा से लेकर भोपाल और दिल्ली तक थी। लोग तो यहां तक कहते हैं कि अपराध करने के बाद वह प्लेन से फरार हो जाता था।
गोलीकांड से हुई शुरुआत
बता दे कि बात 1980 की है जब संजय त्रिपाठी पहली बार नागपुर के एक होटल में गोलीकांड कर मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में चंद घंटो में फेमस हो गया था। इस घटना ने दोनो सरकारो में सनसनी फैला डाली हालांकि गवाहों के अभाव में कोर्ट ने उसे बरी कर दिया थ। बस इसी घटना ने संजय को अपराध की दुनिया में इंट्री दे दी और वह पूरे रीवा का दादा भाई बन गया और लो इसी नाम से उसे जानने लगे। प्रापर्टी के काम में उतरे संजय ने हर जमीनों में अपने कदम रखे और उन्हें हथियाता गया और उसका अपराध की दुनिया में नाम भी बढ़ता गया।
लड़की के पीछे हत्या पड़ी महंगी
बता दें कि 6 जून 2003 में रीवा शहर मे संजय त्रिपाठी के मकान से करीब आधा किमी. दूरी पर पडऱा मोहल्ला स्थित रसराज ढाबे में एक लड़की के चक्कर में हत्या हुई थी। इस पडऱा हत्याकांड ने रीवा सहित विंध्य क्षेत्र व यूपी में हड़कंप मचा दिया था। इसमें कई बाहरी अपराधी थे और संजय त्रिपाठी का नाम भी इससे जुड़ा।
सरकार बदली तो समाजसेवी का चोला
संजय त्रिपाठी ने अपराध की दुनिया में इतनी धौंस जमा ली थी कि वह रीवा में दादा भाई व बाहुबली के नाम से जाना जाने लगा। 1988 से हुई शुुरुआत के बाद साल 2017 तक 4 हत्या, 5 हत्या के प्रयास समेत आर्म्स एक्ट आदि के 29 अपराध दर्ज हो चुके थे। 2003 के आखिर में प्रदेश के अंदर भाजपा की सरकार बनी। इधर, संजय अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज संगठन बना लेता है। ब्राह्मण समाज के नाम पर राजनेताओं तक उसकी अच्छी पकड़ है। यहां तक की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित अन्य सरकार के मंत्रियों के साथ उसके फोटो सार्वजनिक हैं, वह भाजपा सरकार में समाजसेवी का चोला ओड़े घूम रहा था।
पेरोल की खुली पोल
बता दें कि अजीवन करावास में अंदर गए संजय त्रिपाठी जब जेल से बाहर आया तो एक बार फिर दादा भाई के समर्थकों में उत्साह हो गया सभी को लगा कि अब संजय त्रिपाठी दोबारा जेल नहीं जाएगा। लेकिन वह बीमारी के कारण आजीवन पेरोल चल रही थी, इस बात की किसी को जानकारी ही नहीं थी। 29 अपराध होने के बाद भी वह लग्जरी लाइफ जी रहा था। दोबारा जेल जाने के बाद यह सभी तथ्य बाहर आए।
कई पार्टियों से नाता
अपराध की दुनिया के बेताज बदशाह रहे संजय त्रिपाठी ने सरकार के हिसाब से पार्टिया बदली, बता दें कि संजय पहले कांग्रेस फिर सपा सहित अब भाजपा के जिंदाबाद के नारे लगा रहा था। भरे कोर्ट में संजय त्रिपाठी ने भारतीय जनता पार्टी जिंदाबाद के नारे लगाए।
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