रीवा। नगर निगम में भवन अनुज्ञा के लिए नाम पर चल रहा भ्रष्टाचार का खेल आए दिन चर्चाओं में रहता है, व्यवसायिक भवनो के अलावा रिहायसी भवनों में अनुज्ञा के नाम पर हो रही वसूली के मामले चर्चाओं में रहते है और इनको लेकर शिकायते भी होती रहती है। इन मामलों में भवन अनुज्ञा के लिए आवेदन कराने वाले निगम के कंसल्टंट से लेकर अधिकारियों की संलिप्तता रहती है। मामलो को लेकर कई दफा विपक्ष सहित सत्ता पक्ष के पार्षदों ने भी शिकायत की लेकिन कार्यवाही नहीं होने से भ्रष्टाचार के मामले बढ़ते ही जा रहा है, जहां एक तरफ लोकायुक्त एसपी लगातार रिश्वतखोरो के खिलाफ अभियान चला रहे है वहीं दूसरी तरफ इस तरह के मामलों में कमी नहीं हो रही है। हाल ही में एक शिकायत नगर निगम में पहुंची है जिसमें ऐसे ही मामले को लेकर जांच की मांग की गई है। यह शिकायत नगर निगम के निवर्तमान पार्षद अशोक पटेल ने की है। उन्होंने नगर निगम आयुक्त को दिए गए शिकायती आवेदन में बताया है कि उनको सूत्रों से जानकारी मिली थी कि वार्ड क्रमांक 8 में किसी व्यवसायिक भवन अनुज्ञा के नाम पर निगम के कंसल्टंट सहित अधिकारियों के लिए मोटी वसूली की जा रही है, इस संबंध में उनके पास इस भवन अनुज्ञा के लिए किए गए आवेदन की हिसाब-किताब की एक रफ कापी पहुंची है, जिसमें नगर निगम के अधीक्षण यंत्री, कार्यपालन यंत्री, सहायक यंत्री व उपयंत्री के नाम से 50-50 हजार रुपए प्रति अधिकारी व डीसीआर सेल के लिए 20 हजार व कंम्प्यूटर आपरेटर के लिए 10 हजार रुपए लिए गए है, किसको कितना दिया या देना है इसका हिसाब लिखा हुआ है। नितवर्मान पार्षद अशोक पटेल ने निगमायुक्त से इसके जांच की मांग की है, उन्होंने कहा है कि इससे निगम की छवि धूमिल होती है।
आवेदन में यह बताया— नितर्वमान पार्षद अशोक पटेल ने आवेदन में बताया है कि यह भवन अनुज्ञा आवेदन जी प्लस 3 व्यवसायिक भवन एरिया 504.95 वर्गमीटर के लिए किया जाना रफ कापी के अनुसार बताया गया है। जिसमें 6 सितंबर 2021, 16 अक्टूबर 2021 व 18 नवंबर 2021 को एडवांस राशि देना बताया गया है। वहीं नगर निगम को लगने वाली आरएमसी फीस करीब 173119 रुपए किसी सुधीर नाम के व्यक्ति द्वारा 10-12-2021 व 11-12-2021 को ऑनलाइन जमा करना बताया गया है। अनुमानतः यह भवन अनुज्ञा एडवांस राशि और फीस भुगतान के बीच की समय की है। इस 504.95 वर्गमीटर के एरिया की व्यवसायिक भवन और वार्ड 8 या अन्य में लगी फ़ाइल की जांच की जाए जिससे यह पता चल जाएगा कि यह भवन अनुज्ञा किस व्यक्ति के लिए और किस कंसल्टंट द्वारा हुई है।
हेडराईटिंग की हो जांच तो खुलेगी पोल—
निवर्तमान पार्षद अशोक पटेल ने कहा है कि इन सभी तथ्यों की जांच से सामने आ जाएगा कि किसकी फाइल व किस कसंल्टंट द्वारा लगाई गई जिसका यह रफ काफी हिसाब है, इसके बाद इस रफ काफी में उपयोग हेडराईटिंग का सभी संबंधिक वह चाहे कंसल्टंट हो या भवन अनुज्ञा आवेदक या फिर अधिकारी-कर्मचारी जो भी इस फाईल से जुड़ा हो उसकी हेडराईटिंग का मिलान कर लिया जाए जिससे यह सामने आ जाएगा कि यह हिसाब किसके द्वारा किया गया। उन्होंने कहा कि इससे निगम की छवि धूमिल हो रही है, इस मामले की गंभीरता से जांच होनी चाहिए ताकि सच सामने आए और यह सामने आ सके कि किसके द्वारा भवन अनुज्ञा के नाम पर भ्रष्टाचार किया गया है या नहीं, जो रुपए लिखे हुए है वह लिए भी गए है या नहीं या फिर वसूली अधिकारियों के नाम से हो रही है। जांच होनी चाहिए और दोषियों पर कड़ी कार्यवाही की जाए।
०००००००००००००००००
व्यवसायिक भवन के नाम पर अवैध वसूली का मामला संज्ञान में आया था, उससे संंबंधित दस्तावेज भी मिले तो निगमायुक्त के संज्ञान में मामला लाया गया है, यह गंभीर जांच का विषय है, जांच से ही हकीकत सामने आएगी कि भवन अनुज्ञा के नाम पर किसके द्वारा कितनी वसूली की गई या नहीं। निगमायुक्त से जांच की मांग की गई है।
अशोक पटेल, निवर्तमान पार्षद वार्ड 15।