रीवा। स्वास्थ्य सेवाओं में बदलाव के लाख दावे कर लिए जाए लेकिन शासकीय स्वास्थ्य सेवाओं में प्राइवेट स्वास्थ्य सेवाएं हमेशा ही भारी रहती है, ऐसा इसलिए भी कहना गलत नहीं होगा कि महज तीन दिन पूर्व ही प्राइवेट नर्सिंग होमो की जांच शुरु हुई और एक अग्रवाल नर्सिंग होम का पंजीयन निरस्त भी कर दिया, जिसके बाद सीएमएचओ जैसे महत्वपूर्ण पद से ही अधिकारी को हटा दिया गया। इस बदली जिम्मेदारी को लेकर कई सवाल खड़े किए जा रहे है और चर्चाएं भी जोरो पर है, बता दें कि शुक्रवार को जारी आदेश में सीएमएचओ पद से डॉ.बीएल मिश्रा को हटा दिया गया है और जिम्मेदारी डॉ.एनएन मिश्रा को दे दी गई है।
सीएमएचओ की जिम्मेदारी बदले जाने की सूचना जैसे ही आम हुई वैसे ही तरह-तरह की चर्चाएं मामले को लेकर होने लगी। इसे सीधे तौर पर प्राइवेट नर्सिंग होमो की जांच से जोड़ा जाने लगा। चर्चाओं में कहा गया कि जैसे ही प्राइवेट नर्सिंग होमो की जांच कर उन पर नकेल कसने का काम सीएमएचओ ने शुरु किया वैसे ही जिम्मेदारी में बदलाव कर दिया गया, इससे साफ है कि प्राइवेट नर्सिंग होम संचालको की पहुंच इतनी तगड़ी है कि वह कार्रवाई करने वाले अधिकारियों की जिम्मेदारी में बदलाव ही करा देते है। चर्चाओं में यह भी कहा जा रहा था कि जिस अग्रवाल नर्सिंग होम के लाख कमियां मिलने के बाद भी पंजीयन निरस्त करने की कार्रवाई किसी ने नहीं की उसके पंजीयन निरस्त होते ही अधिकारी बदल दिए गए।
चर्चाओं में कहा जा रहा है इस नर्सिंग होम पर कार्रवाई करना ही अधिकारी को भारी पड़ गया। यदि इस प्रकार की कार्यप्रणाली रही तो ऐसे में प्राइवेट नर्सिंग होम संचालको की मनमानी जारी रहेगी और वह अपने हिसाब से मनमानी अधिकारियों को बैठाकर अपना गोरखधंधा चलाते रहेंगे। हालांकि कहा यह भी जा रहा है कि सीएमएचओ डॉ.बीएल मिश्रा के कुछ मामलो को लेकर पहले से ही शिकायत थी जिस पर पूर्व से ही कार्रवाई की चर्चा हो रही थी।
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