रीवा। अफ्रीकन स्वाइन फीवर से संक्रमित सुअरों को मारने का मिशन फेल होता दिख रहा है। सुअर पालन सहयोग नहीं कर रहे। चिकित्सकों के पहुंचते ही उन्हें भगा दे रहे। गुरुवार को सिर्फ दो ही सुअर हाथ लगे। जिन्हें डॉक्टरों ने मौत का इंजेक्श दिया। सिर्फ दो को ही टीम मार पाई। नगर निगम के कर्मचारियों ने सुअरों को पकडऩे में खूब पसीना बहाया लेकिन सफल नहीं हुए। अब टीम ने पार्षदों से मदद मांगी है। गुरुवार को फिर मिशन में लगेंगे।
अफ्रीकन स्वाइन फीवर की रीवा में पुष्टि हुई है। स्वाइन फीवर की पुष्टि के बाद संक्रमित वार्डों में सुअरों को खत्म करने का मिशन शुरू किया गया है। चार दिन से पशु चिकित्सकों की टीम जूझ रही है लेकिन वह सफल नहीं हो पा रहे हैं। पहले दिन 12 सुअरों को इंजेक्शन देकर मारा गया। इसके बाद बुधवार को तीन और गुरुवार को यह संख्या दो में ही सिमट कर गई। पशु चिकित्सकों की टीम वार्डों में सुअरों को मारने पहुंची तो बाड़े खाली थे। सुअर पालकों ने बाड़ों को टीम के आने के पहले ही खोल दिया था। पालक सुअरों केा बचाने में लगे हैं। हालांकि इसका परिणाम भयावह दिख रहा है। यह संक्रमित सुअर अब दूसरे वार्डों तक पहुंच रहे हैं। बीमारियां तेजी से अन्य वार्डों के सुअरों तक पहुंच रही है। इसी वजह से जगह जगह सुअर मरे हुए मिल रहे हैं। सुअरों को मारने में सफल नहीं होने पर पशु चिकित्सका विभाग ने अब पार्षदों की मदद मांगी है। पार्षदों से सुअर पालकों को समझाने की बात कही गई है। उनसे हस्तक्षेप करने की बात कही है। शुक्रवार को ही अब इसका असर देखने को मिलेगा। हालांकि सुअरों को मारने के अलावा पशु चिकित्सकों की टीम कुछ और भी नया करने वाली है।
सेम्पलिंग करेगी टीम
शुक्रवार से पशु चिकित्सकों की टीम अन्य वार्डों में भी पहुंच कर सुअरों का वैक्सीनेशन और सेम्पलिंग करेगी। इसमें वह वार्ड शामिल किए गए हैं जो नगर निगम सीमा से लगे हुए हैं। इसमें ढेकहा के आसपास के वार्ड, निपनिया और अन्य कई वार्ड शामिल हैं। इन वार्डों में सेम्पलिंग के बाद जांच के लिए भोपाल भेजा जाएगा। भोपाल से रिपोर्ट यदि स्वाइन फीवर की पुष्टि होती है तो अन्य वार्डों में भी सुअरों को मारने का अभियान चलाया जाएगा।
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बीमारी से मरे सुअर तो नहीं मिलेगा मुआवजा
संक्रमित वार्डों के सुअर पालक प्रशासन का सहयोग नहीं कर रहे हैं। सुअरों को भगा रहे हैं। सुअर बाहर जाकर दम तोड़ रहे हैं। संक्रमण से मर रहे सुअरों के बदले प्रशासन और पशु चिकित्सा विभाग किसी तरह का मुआवजा नहीं देगा। इस असहयोग से सुअर पालकों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। वहीं पशु चिकित्सा विभाग जिन सुअरों को मारेगी। उसके बदले में पालकों को मुआवजा देगी। इस मुआवजा राशि से पशु पालक कोई और भी व्यवसाय कर सकेंगे।
किसी दूसरे व्यवसाय से जोडऩे की कोशिश
सुअर पालकों को प्रशासन किसी और व्यवसाय से जोडऩे की कोशिश करेगी। सुअरों की मौत के बाद पालकों के पास कोई और विकल्प नहीं रह जाएगा। ऐसे में प्रशासन उन्हें दूसरे व्यवसाय के लिए तैयार करेगी। मुआवजा देने के साथ ही बम्बू मिशन के तहत लोन भी दिलाया जाएगा। सुअर पालकों को तुरंत राशि मिले इसके लिए पशु चिकित्सा विभाग ने पशु कल्याण मद से सीधे ही राशि देने का निर्णय लिया है। कलेक्टर ने भी स्वीकृति प्रदान कर दी है।
सुअर को मारते ही मिलेगा मुआवजा
सुअर पालकों को जल्द से जल्द मुआवजा राशि दी जाएगी। इसके लिए शासन से बजट आने का इंतजार नहीं किया जाएगा। पशु कल्याण मद से राशि दी जाएगी। सुअरों का शिकार करने के बाद पशु पालकों के खाते की जानकारी ली जाएगी और तुरंत उनके खाते में राशि स्थानांतरित कर दी जाएगी। इसमें एक या दो दिन का ही समय लगेगा।
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सुअर पालक सहयोग नहीं कर रहे हैं। गुरुवार को भी पालकों ने बाड़ों से सुअरों को छोड़ दिया था। सिर्फ दो को ही दवा दी गई। पार्षदों से सहयोग मांगा है। शुक्रवार को नगर निगम के बार्डर वाले वार्डों में सेम्पलिंग की जाएगी। जांच के लिए उन्हें भी भोपाल भेजा जाएगा।
डॉ राजेश मिश्रा
संयुक्त संचालक, पशु चिकित्सा सेवाएं रीवा