सीधी। मप्र का सीधी जिला सीमावर्ती क्षेत्र में होने के कारण विकास को लेकर अब भी वांट जोह रहा है, प्रदेश के अन्य जिलो के अपेक्षा सीधी में भूलभूत सुविधाओं का आभाव है, यहां तक की अभी तक टे्रन की सुविधा भी जिले को नहीं मिल पाई है। कई किलोमीटर दूर बस व प्राइवेट वाहन पर सफर करने के बाद जिले के यात्रियों को यह सुविधा मिल सकती है। राजनैतिक दलो ने कई वादे तो किए लेकिन वह वर्षो से केवल दावे तक ही सीमित रह गए। ंयहां के मशहूर जंगल भी अपना अस्तित्व खोज रहे है, हालांकि इन जंगलो में अब जंगली जानवरों को फिर से छोडऩे की तैयारी है। करीब 71 वर्ष बाद इन जंगलो में ही जन्मे सफेद बाग की वापसी हो सकती है। इसको लेकर तैयारियां चल रही हैं। बताया गया कि राज्य सरकार ने दुबरी टाईगर में सफेद बाघो को बसोन के लिए सैद्धांतिक सहमति दी है। यह व्हाइट टाईगर की जन्मभूमि मानी जाती है, सहीं वर्ष 1951 में व्हाइट टाईगर को जीवित पकड़ा गया था, जिसे तत्कालिक राजा मार्तंड सिंह ने मोहन नाम दिया था। जानकारी के मुताबिक इंदौर, ग्वालियर, मुकुंदपुर रीवा और भोजपाल में सफेद बाग जू में मौजूद है, इन्हीं की ब्रीडिंग करा इन्हें जंगलो में छोड़ा जाएगा। वहीं सूत्रों के मुताबिक मुकुंदपुर जंगल से भी एक छोड़ा सीधी के जंगलो में छोडऩे की तैयारी है। बता दें सीधी में मिले सफेद बाघ मोहन की ही संताने दुनिया भर में है। यहां यह कहना गलत नहीं होगा कि सीधी में यहां के बेटे मोहन का वंश अब सीधी को 71 साल बाद वापस मिलने जा रहा है।
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