READ ALSO-रीवा नगर निगम में 130 पदों पर होगी नियुक्तियां! जानिए क्या है प्रक्रिया…
रीवा। राजघराने के दरबार काल में बाघ का शिकार मुख्यत: शासकों द्वारा किया जाता था। बांधवगढ शासकों के द्वारा उनकी व्यक्तिगत बहादुरी को प्रतिष्ठित रखने के उद्देश्य से 109 शेरों का शिकार (माला) पूर्ण करने का प्रयास किया जाता था। कहा जाता है महाराज वेंकट रमन सिंह ने 1913-14 तक 111 बाघों का शिकार किया।
109 बाघों का शिकार होने पर माला मानी गई एवं इसे बड़ी धूमधाम से पूरे राज्य में उत्सव के रूप में मनाया गया था। महाराज गुलाब सिंह ने 144 बाघों का शिकार किया एवं वर्ष 1923-24 में मात्र एक वर्ष की अवधि में ही 83 बाघों का शिकार किया गया। उस समय शिकार पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं था।
यह इस बात का प्रमाण है कि उस समय इस क्षेत्र में बाघ बहुतायत में थे। आज इनकी संख्या नगण्य है। इसीतरह महाराजा रघुराज सिंह व महाराजा मार्तंड सिंह द्वारा भी बाघों का शिकार किए जाने का रिकार्ड बताया जाता है।
अंतिम शासक महाराजा मार्तण्ड सिंह ने तो सफेद बाघ मोहन को पकड़ कर न केवल पाला पोशा अपितु ब्रीडिंग करवा कर दुनिया को सफेद बाघ का उपहार दिया। 19 वर्षों में व्हाइट टाइगर मोहन 34 बाघ शावकों का पिता बना। मोहन की संतानों ने विश्व भर में 144 सफेद और 56 सामान्य बाघों को जन्म दिया जो आज भी एक विश्व रिकॉर्ड है।
०००००००००००