रीवा। जीवित महिला को मृत बताकर उसकी जमीन हथियाने के मामले में तहसीलदार द्वारा एफआईआर के दिए गए आदेश का पालन नहीं हो रहा है। इस मामले में शिकायतकर्ता के विरुद्ध साजिशकर्ता द्वारा उल्टा एफ आई आर दर्ज करा दी गई और पुलिस ने दर्ज भी कर लिया। मामला जिले के बैकुंठपुर थाना क्षेत्र के ग्राम तेंदुन का है जहां के शिकायतकर्ता पंकज सिंह ने बैकुंठपुर थाना से निराश होकर एसपी के यहां शिकायत दर्ज कराई है। शिकायतकर्ता पंकज सिंह ने एसपी को सौंपे गए शिकायती पत्र में साजिशकर्ता के बारे में संपूर्ण जानकारी प्रमाणित दस्तावेजों के साथ दी है। साजिशकर्ता कृपाशंकर सिंह ने अपने विक्षिप्त भाई के नाम से पुलिस को गुमराह करते हुए मारपीट की झूठी रिपोर्ट दर्ज कराई है और पुलिस ने दर्ज भी कर लिया क्योंकि जिसके विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कराई गई हैं वह शासकीय कर्मचारी है।
पुलिस अधीक्षक को दिए गए शिकायती पत्र में बताया गया है कि बैकुंठपुर निवासी कृपाशंकर सिंह ने न्यायालय के समक्ष तेंदुन निवासी चमेली बाई पति स्वर्गीय तेजा सिंह को मृत बता कर उनकी तेंदून गांव में स्थित लगभग 5 एकड़ जमीन फर्जी वसीयत पेश करके न्यायालय को गुमराह करके अपने नाम करा लिया। इसकी शिकायत के बाद फर्जीवाड़े का खुलासा होने पर नामांतरण निरस्त कर दिया गया।
इस मामले का खुलासा होने पर नायब तहसीलदार बैकुंठपुर वृत द्वारा नामांतरण निरस्त कर साजिशकर्ता एवं वसीयत के पक्ष में गवाही देने वालों के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 1861 के प्रावधान के अनुसार रिपोर्ट दर्ज करने के लिए थाने को लिखा गया किंतु थाने में रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई। नायब तहसीलदार द्वारा थाने में दिये गये आवेदन में स्पष्ट लिखा है कि विजय शंकर सिंह तनय गौरी शंकर सिंह निवासी बैकुंठपुर तथा वसीयतनामा के अनुप्रमाणन साक्षी कमलेश्वर सिंह तनय सूर्यपाल सिंह एवं मनोज सिंह तनय गंभीर सिंह निवासी बैकुंठपुर द्वारा न्यायालय को गुमराह किया गया है। नायब तहसीलदार द्वारा पारित आदेश के मुताबिक यह पाया गया है कि विजय शंकर सिंह तनय गौरी शंकर सिंह द्वारा न्यायालय के समक्ष चमेली बाई को मृत बताकर फर्जी वसीयत तैयार की और उनकी जमीन के नामांतरण का आदेश न्यायालय को धोखा देकर पारित करा लिया गया है। शिकायतकर्ता अनिल तिवारी अध्यक्ष एडवोकेट टास्क फोर्स सिरमौर द्वारा आयुक्त रीवा को शिकायत के द्वारा यह बताने पर कि चमेली बाई का मृत्यु प्रमाण पत्र जो स्थान में प्रस्तुत किया गया है वह फर्जी है और चमेली भाई जिंदा है। इसके आधार पर प्रकरण में पुनरावलोकन की स्वीकृति एडीएम सिरमौर द्वारा देने पर तहसील में आदेश का पुनरावलोकन किया गया। और वसीयत फर्जी पाये जाने पर उक्त भूमि का नामांतरण आदेश निरस्त कर कर दिया गया।
शिकायतकर्ता पंकज सिंह ने एसपी को दिए आवेदन में बताया है कि कृपाशंकर अपने विक्षिप्त भाई के नाम से न्यायालय एवं अधिकारियों को गुमराह करता रहा है। इस संबंध में नगर परिषद बैकुंठपुर के तत्कालीन अध्यक्ष एवं ग्राम पंचायत तेदुन के तत्कालीन सरपंच द्वारा प्रमाण पत्र देकर कृपाशंकर की कूट रचना का प्रमाणीकरण भी किया गया है। उसके द्वारा कूट रचना की पराकाष्ठा तो तब हो गई जब कृपाशंकर सिंह द्वारा न्यायालय के समक्ष शपथ पत्र देकर साक्षी प्रति परीक्षण में न्यायालय को धोखा देकर खुद ही स्वीकार किया कि कृपाशंकर और विजय शंकर दोनों वही है। उसने न्यायालय के समक्ष यह भी स्वीकार किया है कि वह अस्पताल सिरमौर में वार्ड बॉय के पद पर सेवारत हैं। उसके रिकॉर्ड में विजय शंकर सिंह लिखा है और कहीं कहीं और कृपाशंकर भी लिख रहा है। शपथ पत्र में उसने अपना नाम विजयशंकर नहीं लिख रहा है। कुछ कागजातों में कृपाशंकर और विजय शंकर भी लिखता है जबकि हकीकत यह है कि यह दोनों व्यक्ति अलग-अलग हैं उसके द्वारा जबलपुर हाईकोर्ट में भी अपनी पत्नी अंजू सिंह के नाम पर अपील में पति के स्थान पर विजय शंकर सिंह पुत्र कृपाशंकर सिंह लेख कराकर छल किया गया है। बैकुंठपुर थाना में एक अपराध के मामले में उसे 10 वर्ष की कारावास की सजा भी सुनाई गई थी। सजा के उपरांत कृपाशंकर वर्तमान में जमानत पर हैं सश्रम कारावास से बचने के लिए कृपाशंकर सिंह द्वारा शंकर के नाम से कूट रचित दस्तावेज तैयार किए गए है।ं इसी तरह उसने जीवित महिला का मृत्यु प्रमाण पत्र बनाकर उनकी सारीजमीन हड़पने के प्रकरण में भी दोषी पाया गया और नया तहसीलदार द्वारा एफआईआर दर्ज करने का आदेश पारित किया गया किंतु एफआईआर नहीं हो सकी है।
यह होर्डिंग चर्चा का विषय बनी हुई हैं।