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रीवा। रीवा का नया स्पेशलिटी अस्पताल ने स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में Óसुपर’ कामÓ… किया। दिल के मरीजों का दर्द दूर करने में आगे रहा। सालभर में सबसे अधिक 43 हजार मरीजों के दिल की धड़कन वापस लौटाई और उनकी जान बचाई। इसी तरह नसों की बीमारियों से जूझ रहे करीब 20 हजार मरीजों को पैरों पर दौड़ाने में सफलता हासिल की। वहीं किडनी की बीमारी से जूझ रहे 10 हजार मरीजों को डायलिसिस की सुविधा दी गई। ज्ञात हो कि रीवा में 120 करोड़ की लागत से सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की शुरुआत की गई। इस अस्पताल की शुरुआत होते ही नागपुर, बनारस, मुम्बई इलाज कराने जाने वाले मरीजों को बड़ी राहत मिली। दिल के मरीजों को सबसे बड़ी राहत मिली। अब रीवा में ही दिल की सारी बीमारियों का इलाज मिलने लगा है। पेसमेकर इम्प्लांट से लेकर हार्ट सर्जरी तक यहां संभव है। जल्द ही यहां के लोगों को किडनी ट्रांसप्लांट तक की सुविधा मिलने वाली है। इसकी भी तैयारियां शुरू हो गई है। रीवा के लोगों की जान बचाने के मामले में सुपर स्पेशलिटी अस्पताल ने बेहतर काम किया है। इसके अलावा डायलिसिस के मामले में भी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में 24 घंटे सेंवाएं दी जा रही हैं। अस्पताल में 21 मशीनें डायलिसिस के लिए इंस्टाल हो गई हैं। यहां हर दिन 80 मरीजों को डायलिसिस की सुविधा दी जा रही है।
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सबसे अधिक नागपुर जाते थे मरीज
सुपर स्पेशलिटी अस्पताल जब शुरू नहीं हुआ था। तब यहां के सारे मरीज नागपुर इलाज के लिए जाते थे। छोटी सी बीमारी का भी इलाज यहां संभव नहीं था। नागपुर की बसें और ट्रेन फुल निकलती थी। सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के शुरू होने के बाद अब हालात बदलते हैं। लगातार हो रहे दिल के सफल आपरेशानों को देखते हुए रीवा सहित आसपास के जिलों के मरीज भी इलाज के लिए यहां पहुंच रहे हैं। यही वजह है कि सालभर में सिर्फ ओपीडी में 92 हजार 781 मरीज पहुंचे।
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ओपीडी में पहुंचने मरीजों की संख्या
मंथ न्यूरोसर्जरी यूरोलॉजी सीटीव्हीएस नेफ्रो कार्डियोलॉजी
जनवरी 1353 1506 187 582 3810
फरवरी 1644 1654 181 560 4222
मार्च 2103 2319 180 723 4626
अप्रैल 1551 1842 131 708 3311
मई 1812 1918 140 315 3543
जून 2101 2130 102 650 3791
जुलाई 2016 2073 92 537 3823
अगस्त 1773 1769 107 538 3643
सितंबर 2325 2125 167 673 4702
अक्टूबर 1899 1734 126 604 4031
नवंबर 1880 1908 143 545 3857
योग 20457 20947 1556 6435 43359
सुपर स्पेशलिटी में आईपीडी में उपचारित मरीजों की स्थिति
मंथ सीएजी पीटीसीए पीपीआई टीपीआई ईको डायलिसिस सीटी स्केन
जनवरी 205 128 05 07 987 939 402
फरवरी 191 110 05 11 1251 860 31 9
मार्च 265 185 18 26 1460 861 428
अप्रैल 224 178 12 17 1059 869 33 2
मई 219 117 16 24 1016 829 391
जून 225 120 18 26 1100 835 400
जुलाई 227 122 20 28 1120 837 40 2
अगस्त 215 94 09 11 711 953 497
सितंबर 237 127 18 17 904 952 702
अक्टूबर 171 128 07 21 880 988 77 4
नवंबर 161 133 13 14 985 1064 88 9
योग 2340 1442 141 202 11473 998 7 5536
प्रदेश का पहला लीडलेस पेसमेकर इम्पलांट किया गया
सुपर स्पेशलिटी रीवा के कार्डियोलॉजी विभाग ने लीडलेस पेसमेकर इम्पलांट करके नया कीर्तिमान हासिल किया है। इसमें मरीज को लीडलेस पेसमेकर लगाने के लिए जन सहयोग और गवर्नमेंट अथॉरिटीज ने बड़ा फंड एकत्र किया था। लीडलेस पेसमेकर को पैर की नसों से हार्ट में इम्पलांट किया गया। डॉ एसके त्रिपाठी सह प्राध्यापक ने चेन्नई के इलेक्ट्रोफिजियोलॉजिस्ट डॉ बाबू एजुमलाई के सहयोग से यह इम्प्लांट किया था।
ब्रेकियल एंजियोप्लास्टी की गई थी
कृष्ण जन्माष्टमी के दिन सुपर स्पेशलिटी में हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ एसके त्रिपाठी ने ब्रेकियल एंजियोप्लास्टी की थी। मरीज के हाथ की 90 फीसदी नस को खोला गया था। एंजियोग्राफी में हृदय की 90 फीसदी नस बंद मिली थी।
वर्सन…
11 महीने में करीब 97 हजार मरीज ओपीडी में दिखाने के लिए पहुंचे हैं। सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में कई हार्ट के ऐसे आपरेशन हुए हैं, जो यहां के लिए बड़ी उपलब्धि रही है। पहला लीडलेस पेसमेकर भी यहीं लगाने का काम हुआ है।
डॉ अक्षय श्रीवास्तव
अधीक्षक, सुपर स्पेशलिटी अस्पताल रीवा