बृजेश मिश्रा,रीवा। पर्यावरण संरक्षण की ओर अब अपना शहर काम करने जा रहा है, वैसे तो कागजी दावे लंबे समय से पर्यावरण संरक्षण के लिए हो रहे है लेकिन हकीकत में ऐसा होता नहीं है। आए दिन पेड़ काटने व लकड़ी चोरी के मामले सामने आते रहते है। हालांकि अब निगम प्रशासन ने पर्यावरण संरक्षण को लेकर नई पहल अपनाई है। शहर में अब अंतिम संस्कार बिना लकड़ी-गोबर के कंडे का होगा। इतना ही नहीं इसके लिए इलेक्ट्रिक का उपयोग भी नहीं किया जाएगा। तो अब आप सोच रहे होंगे कि अंतिम संस्कार के लिए अब कौन सी प्रक्रिया से किया जाएगा। तो हम आपको को बता देकि अब शहर में अंतिम संस्कार गैस फायर्ड सिस्टम से होगा, यानि कि अंतिम संस्कार के लिए ईधन के रूप में गैस का उपयोग किया जाएगा। इसके लिए संयंत्र शहर के बंदरिया मुक्तिधाम में स्थापित किया जाएगा। जिसके लिए निगम ने टेंडर कर कंपनी को अनुबंधित भी कर दिया है। यह कार्य मे.अल्फा एक्यूमेंट बड़ोदरा गुजरात को दिया गया है। शवदाह ग्रह की योजना की सौगात नगर निगम आयुक्त मृणाल मीना के चलते शहर वासियों को मिली है।
71.33 लाख रुपए होंगे खर्च
बता दे कि इस गैस फायर्ड शवदाह ग्रह के लिए निगम द्वारा हाल ही में टेंडर किया गया था। 79.26 लाख रुपए का टेंडर इसके लिए किया गया था, हालांकि जिस कंपनी को अनुबंधित किया गया है उसके द्वारा इस संयंत्र को स्थापित करने के लिए 71.33 लाख रुपए बिट डाली गई थी। जिसे स्वीकृति कर उसे काम करने के लिए आदेशित कर दिया गया है। बताया गया कि करीब 1800 वर्गफीट के एरिया में इस मशीन को स्थापित किया जाएगा। जिसमें एक समय में एक शव का दाह संस्कार किया जाएगा।
बता दे कि बीते 6 वर्षो से निगम प्रशासन द्वारा अपने बजट में इलेक्ट्रिक शवदाह ग्रह स्थापित करने की घोषणा की जा रही है। बीच में लक्ष्मणबाग के समीप इलेक्ट्रिक शवदाह ग्रह स्थापित करने की घोषणा भी कर दी थी लेकिन यह क्षेत्र डूब क्षेत्र होने से निगम को विरोध का सामना करना पड़ा व अपना निर्णय बदलना पड़ा। इसके पहले बंदरिया में भी इलेक्ट्रिक शवदाह ग्रह के लिए सर्वे कराया गया था लेकिन इलाहाबाद से आई टीम ने जांच के दौरान इस जगह को उपयुक्त नहीं बताया था। जिसके बाद अब निगम ने गैस फायर्ड शवदाह ग्रह स्थापित करने की योजना बनाई है।
प्रति हितग्राही देते है 3 क्विंटल लकड़ी
बता दे कि निगम प्रशासन द्वारा अंतिम संस्कार के लिए हितग्राही की मांग पर एक शव के संस्कार के लिए 3 क्विंटल लकड़ी दी जाती है। जिसमें निगम का करीब साढ़े चार सौ रुपए खर्च होता है। इस प्रकार से प्रति माह 30-35 शव जलाने के लिए लकड़ी दी जाती है, जिसमें माह में करीब 15 हजार रुपए खर्च हो जाता है। वहीं निगम अधिकारियों का कहना है कि गैस फायर्ड सिस्टम से पर्यावरण संरक्षण तो होगा ही इसके अलावा इलेक्ट्रिक सिस्टम में निगम को खर्च ज्यादा आता इसलिए इस प्रक्रिया को अपनाया गया। सबसे अधिक शवो के संस्कार में कोरोना कॉल में समस्याओं का सामना करना पड़ा था, अंतिम संस्कार को लेकर कई विवाद भी हुए। बंदरिया घाट में ही निगम कर्मचारियों को ही विवाद का सामना करना पड़ता था। इस शवदाह ग्रह का उपयोग कोरोना कॉल में ही भी उपयोगी होगा।
क्या कहते है अधिकारी….
इस संबंध में कार्यपालन यंत्री एसके चतुर्वेदी ने बताया कि लंबे समय से शवदाह ग्रह की मांग की जा रही है, बंदरिया मुक्तिधाम में गैस फायर्ड सिस्टम आधारित शवदाह ग्रह स्थापित किया जाएगा। इसके लिए मे.अल्फा एक्यूमेंट बड़ोदरा गुजरात को अनुबंधित किया गया है। पर्यावरण संरक्षण को लेकर यह निर्णय लिया गया है। यह कार्य निगमायुक्त मृणाल जी के मार्गदर्शन में किया गया है। शवदाह ग्रह में करीब 71.33 लाख का खर्च आएगा। जल्द ही यह सौगात शहरवासियों को मिलेगी।
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