वीरेन्द्र सिंह सेंगर (बबली),रीवा। नगर निगम अधिकारियों के मनमामनी के किस्से आम है, वह चाहे किसी भी मामले को लेकर हो। कुछ अधिकारी तो ऐसे है जो राजनैतिक संरक्षण में खुलकर मनमानी करते है और वरिष्ठ अधिकारियों पर भी उनकी मनमानी पर लगाम न लगाने का दबाव बनवाते है, हालांकि इन दिनों निगम की कमान संभाल रहे निगमायुक्त मृणाल मीना के सामने ऐसे अधिकारियों की दाल नहीं गल रही है और मनमानी करने वाले अफसरों पर लगाम कसने निगमायुक्त की चाभुक ने बड़ा असर डाल रखा है। वर्षो से मनमानी करने वाले अधिकारी भी अब नियम में आ गए है। हाल ही में नगर निगम में डीजल घोटाला का मामला प्रकाश में आया था अधिकारी नियम से अधिक डीजल का उपयोग अपने लग्जरी वाहनों में कर रहे थे। मामले का खुलासा हुआ तो निगमायुक्त मृणाल मीना ने ऐसे मनमानी करने वाले अफसरों पर नकेल कस दी है। आलम यह है कि अब अधिकारी एक लीटर डीजल भी ज्यादा नहीं ले पा रहे है। बता दे कि अगस्त माह में निगम के अधीक्षण यंत्री शैलेन्द्र शुक्ला द्वारा नियमों की धज्जिया उड़ाते हुए दो गुना से अधिक डीजल का उपयोग अपने लग्जरी वाहन में किया था। उनके द्वारा वाहन क्रमांक एपी 17 टीए 3345 में अगस्त माह में 210 लीटर डीजल उपयोग किया गया था जबकि उनको पात्रता 95 लीटर की ही बताई जा रही थी। मामले का खुलासा हुआ तो निगमायुक्त ने जिम्मेदार अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई और इसी का असर रहा कि अधीक्षण यंत्री द्वारा आगे के महीनों में नियमत: 95 लीटर डीजल का उपयोग ही किया जा रहा है। नवंबर माह में भी 95 लीटर डीजल का उपयोग अधीक्षण यंत्री शैलेन्द्र शुक्ला द्वारा किया गया है। बता दे कि डीजल उपयोग में मनमानी सामने आने के बाद कांग्रेसियों ने मांग की थी कि अधीक्षण यंत्री सहित अन्य अधिकारियों द्वारा उपयोग किए गए अधिक डीजल की जांच कराई जाए व उनके वेतन से इसकी कटौती की जाए। इन बिलो को पास करने वाली आडिट पर सवाल खड़े किए गए थे। बता दे कि निगमायुक्त के नगर निगम की कमान संभालने के बाद काफी सुधार व्यवस्थाओं में हुआ सबसे ज्यादा मनमानी करने वाले अफसरों पर नकेल कसी है, इतना ही नहीं ऐसे मनमानी अफसर जो कुर्सी तोड़ते बैठे रहते थे और आफिस के चेंबर से निकल घर व नेताओं की शरणागत रहते थे वह भी अब सड़क पर दिखने लगे है।
अन्य अधिकारी भी कम कर रहे उपयोग
बता देकि निगमायुक्त की सख्ती के बाद अधीक्षण यंत्री ही नहीं इनके अलावा भी अन्य अधिकारी नियम पर डीजल का उपयोग कर रहे है। नवंबर 2021 की बात करे तो निगमायुक्त मृणाल मीना ने खुद वाहन क्रमांक एपी 04 बीसी 7477 में लगभग 49 लीटर डीजल, कार्यपालन यंत्री एपी शुक्ला ने 83 लीटर, एसके चतुर्वेदी ने 95 लीटर, कार्यपालन यंत्री राजेश सिंह, स्वास्थ्य अधिकारी ने 95 लीटर डीजल का उपयोग किया है, वहीं कार्यपालन यंत्री एचके त्रिपाठी ने जरूर 100 लीटर डीजल का उपयोग किया है। जो 5 लीटर अधिक है। पहले एक दो अधिकारी को छोड़़ सब नियम से अधिक डीजल का उपयोग कर रहे थे। इससे निगम की राजस्व हानि भी बचेगी। बताया गया कि डीजल अधिक उपयोग का सबसे बड़ा कारण यह था कि डीजल प्रभारी के पास डीजल पर्ची न होने से अधिकारी खुद के पास डीजल पर्ची रखते थे और मनमानी डीजल भराते रहते थे लेकिन अब अधिकारियों के ड्रॉयवर डीजल प्रभारी के पास जाते है और डीजल पर्ची ले आते है। नियम से अधिक ड्रॉयवरों को पर्ची दी ही नहीं जाती है। इससे अब डीजल का उपयोग घटा है।
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