बिलासपुर। नए वर्ष की शुरुआत के साथ ही प्रशाशनिक अधिकारियों ने नई पहल कर जनहित में निर्णय लेने शुरू कर दिए है। जनहित में हुए इन निर्णयों से समाज का हर वर्ग खुश है। ऐसा ही निर्णय संभागायुक्त डॉ संजय अलंग द्वारा लिया गया ही जो इन दिनों खूब चर्चा में है। डॉ अलंग के निर्णय अनुसार उन्होंने बिलासपुर जेल में बंद 8 कैदियों के बच्चो को प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने का निर्णय लिया है। उन्होंने इन कैदियो को नए वर्ष का बेहतरीन तोहफा दिया है। जानकारी के मुताबिक इन 8 बच्चो में 4 बालक व 4 बालिकाएं हैं। जिनकी उम्र 6 से 1भी वर्ष के बीच बताई गई है। बता दे यह ऐसे बच्चे है जो जेल के मुक्ताकाश में रहने व जेल में बंद पलको के साथ रहने वाले बच्चे है। संभागायुक्त ने इस पहल का मुख्य महत्व समाज की धरा से बच्चो को जोड़ना है। बताया गयाकि सजा याफ्ता कैदियो के बच्चे जिनकी उम्र 6 वर्ष से अधिक हो जाती है उनका पालन पोषण मुक्ताकाश में किया जाता है जो कि जेल के भीतर ही स्थापित है। बताया गया कि जिन बच्चो को प्राइवेट शिक्षा देने का निर्णय लिया गया है उनको आसपास के स्कूल में पढ़ाया जा रहा था लेकिन डॉ अलंग के प्रयास से अब वह उत्कृष्ट विद्यालयों में पढ़ सकेंगे। इनमे एक 13 वर्षीय बच्चे को स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय में प्रवेश दिलाया गया है। इसके अलावा पांच बच्चो को स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल में प्रवेश दिलाया गया है। और दो 13 व 14 वर्षीय बालिकाओं को व्रजेश हिंदी मीडियम में प्रवेश दिलाया गया है। बता दे कि संभगयुक्त की इस पहल से बच्चो को अच्छी शिक्षा मिल सकेगी और वह सफल विद्यार्थी बन देश व राज्य का नाम रौशन करेंगे। संभगयुक्त कि इस पहल के बाद पब्लिक का कहना है कि ऐसी व्यवस्थाएं अन्य जेलों में भी होनी चाहिए क्योंकि इसमें उन बच्चो का कोई कसूर नही है कि वह कैदी के बच्चे है, इतना ही नही प्राइवेट स्कूल में आने वाले खर्च को कैदियो के मेहनताने से भी दिलाया जाए और जो अतरिक्त भर आये उसे शासन वहन करे ताकि कैदियो को भी अपनी जिम्मेदारी का एहसास हो सके।
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