रीवा। शासकीय चिकित्सालयों में मरीजों के साथ हो रहे व्यवहार के मामले आए दिन सामने आते रहते है, किस प्रकार से मरीजों के साथ चिकित्सक दुव्र्यवहार करते है और उनका उपचार ठीक से नहीं करते है लेकिन रीवा के सुपर स्पेशलिटी के चिकित्सकों द्वारा इन दिनों मरीजों के लिए किए जा रहे कार्य चर्चा का विषय बने हुए है। मरीजों की जान बचाने सुपर स्पेशलिटी के चिकित्सक तत्पर है। एक के बाद एक उपलब्धि चिकित्सकों को मिल रही है। हाल ही में एक मरीज सीने में दर्द एवं हाई ब्लड प्रेशर के कारण एडमिट हुआ था। प्रथामिक निरीक्षण के बाद पहली दफा सुपर स्पेशिलिटी में रीनल एंजियोग्राफी जाँच की गई जिसमें मरीज की दाई किडनी की नस 90 प्रतिशत ब्लाक पाई गई। ऐसे मामले को देख पहले तो चिकित्सक हैरान रहे लेकिन मरीज की जान बचाने चिकित्सकों ने तत्काल उपचार शुुरु किया। कार्डियोलॉजी विभाग प्राध्यापक डॉ.एलपी सिहं एवं उनकी टीम द्वारा इस नस को तत्काल खोला गया और नस खुलते ही मरीज का ब्लड प्रेशर कम हुआ।
इस संबंध में सुपर स्पेशलिटी के अधीक्षक डॉ.अक्षय श्रीवास्तव ने बताया कि हमेशा यह देखा गया है कि जिन मरीजों का ब्लड प्रेशर तीन एवं उससे ज्यादा दवाइयों से ठीक नहीं होता है, उनकी किडनी की नस ब्लॉक होने की ज्यादा संभावना होती है तथा बंद नस को खोलने पर ही ब्लड प्रेशर कम होता है। कार्डियोलॉजी विभाग द्वारा कोरोनरी एंजियोग्राफी के अलावा पेरीफेरल नसों का प्रोसिजर भी सफलतापूर्वक किया जाने लगा है जो कि रीवा सहित समूचे विंध्य क्षेत्र के लिए बड़ी उपलब्धि है। सुपर स्पेशलिटी अस्पताल कार्डियोलॉजी विभाग चिकित्सकों द्वारा विगत एक वर्ष में कई उपलब्धियां हासिल की चुका है, जो प्रदेश में अग्रणी है। चिकित्सकों की इस उपलब्धि से अब मरीजों को अन्य राज्यों पर उपचार के लिए नहीं जाना पड़ेगा उनकों उपचार रीवा में ही मिल सकेगा। देखा गया है कि मरीज बिमार होने पर रीवा की पुरानी लचर उपचार व्यवस्थाओं के चलते प्राइवेट अस्पताल की ओर ज्यादा रूख करते है लेकिन ऐसा नहीं है, अब स्वास्थ्य सेवाओं में काफी परिवर्तन हो चुका है इसलिए शासकीय अस्पतालों का लाभ ले व अधिक खर्च से बचे।
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