रीवा। स्वच्छ्ता सर्वेक्षण में रीवा को झटका पिछले वर्षों से लग रहा है। हालांकि इस वर्ष 2021 में निगमायुक्त मृणाल मीना के सख्ती के चलते रैंकिंग में कुछ सुधार हुआ है। उनके द्वारा सत्ता के रहमो करम और सत्ताधारी नेताओं की चापलूसी कर निगम में कुर्शी तोड़ रहे वरिष्ठ इंजीनयर सहित मनमानी अधिकारी-कर्मचारियों पर लगाम कसी है। जिसका ही परिणाम है कि इन दिनों सफाई व्यवस्था में सुधार हुआ है। हालांकि अब भी कई सुधार निगम को करने की जरूरत है। सबसे बड़ी समश्या कचरा डंपिंग पॉइंट की है। शहर के बीचों बीच स्थित इस कचरा पॉइंट में कलेक्शन में परेशानी हो रही है। सोमवार के दिन यह समश्या बढ़ जाती है। हर सोमवार को किया नजारा कलेक्शन पॉइंट पर सोमवारी बाजार के चलते होता है हम इस खबर में आपको बताने जा रहे हैं।
100 का माल 50 में…, 20 का माल 10 में… जल्दी करो… जल्दो करो आफर सीमित है… कुछ इस तरह की आवाजो के बीच शहर की कचरा संग्रहण व्यवस्था फंस चुकी है। इन आवाजों के बीच ही इस व्यवस्था को घंटो इंतजार करना पड़ रहा है। वजह सिर्फ निगम प्रशासन की उदासीनता है। इस व्यवस्था को दुरुस्थ करने में निगम का बिल्कुल ध्यान नहीं है। हम बात कर रहे सोमवार को शहर में मानस भवन के बगल में लगने वाले साप्ताहिक बाजार की। कचरा प्वाइंट के बगल में लगने वाले इस बाजार की अव्यवस्थाओं के चलते इस दिन कचरा डंपिंग में काफी परेशानी होती है। जहां यहां आने-जाने वाले लोगो सहित व्यापारी खुद परेशान होते है, वहीं इसकी वजह से सड़क में लंबा जाम लगा रहा है। कचरा उठाव व्यवस्था पूरी तरह से प्रभावित होती है। सोमवार को साप्ताहिक बाजार के बाहर सड़क में कचरा गाडिय़ों की लंबी कतारे लगी रही। घंटो लोग परेशान रहे। सफाई अमला गाडिय़ों को निकलवाने में परेशान रहा तो वहीं कचरा गाडिय़ों की दुर्घंध से जनता को भी परेशानी हुई। चौकाने वाली बात तो यह है कि इतनी मुसीबत के बाद भी निगम प्रशासन इस पर ध्यान नहीं दे रहा है।
प्रदूषण से बुरा हाल—-
कचरा यहीं सड़ांध मारने लगता है, यहां आस-पास रहने वाले लोगो के अलावा लगने वाले इस साप्ताहिक बाजार में काफी गंदगी फैलती है। लोग दुर्घंध से परेशान हो जाते है। हालांकि कई बार इस डंपिंग प्वाइंट को लेकर विवाद और इसे हटाने की मांग भी की जा चुकी है लेकिन अधिकारियों ने किसी प्रकार का कोई सुधार नहीं किया। प्रदूषण का ग्राफ बढऩे से लोगो में तरह-तरह की बिमारियां फैल रही है। नगर निगम का अमला इस बाजार की अव्यवस्था को दूर करने की जगह वसूली तक सीमित है। निगम का अतिक्रमण दस्ता सहित बाजार बैठकी के ठेकेदार द्वारा यहां जाकर वसूली तो कर ली जाती है लेकिन यहां की व्यवस्थाओं पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। आलम यह हो गया है कि अब बाजार का संचालन मनमानी हो चुका है। यहां जनता को सुविधा कम परेशानी ज्यादा होती है। बताया गया कि सोमवारी बाजार के लिए सिर्फ मैदान का एरिया निर्धारित किया गया है,जबकि मनमानी रूप से दुकाने सड़क के किनारे संचालित कराई जा रही है। इसमें सबसे बड़ी लापरवाही निगम अमले की है।
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