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जबलपुर। जिले की GFC फैक्ट्री में निर्मित स्वदेशी वर्जन धनुष का नाम लेते ही दुश्मन देश की रूह कांप जाती है। इसका शौर्य बुधवार को लाल किला में परेड के दौरान देश भर ने देखा। यह सेना की सबसे शक्तिशाली और ऑटोमैटिक तोप है। यह दुश्मन के छक्के छुड़ाने वाली भारतीय सेना की प्रमुख तोप में से एक है। जबलपुर में निर्मित इस तोप की कई विशेषताए हैं। इस तोप को 60 डिग्री तक घुमाया जा सकता है। यह तोप 7 से 10 किमी तक खुद भी जा सकती है। जानकारी के मुताबिक इसका निशाना 38 से करीब 40 किमी तक का है, जहा यह लक्ष्य को खुद ही भेद सकती है। यह 155 एमएम व 545 कैलिबर की है। सेना की यह प्रमुख ताकतों में से एक है।
गणतंत्र दिवस पर भेजी गई
जानकारी के मुताबिक जबलपुर की गन कैरिज फैक्ट्री से इस तोप को स्पेसल तौर पर दिल्ली गणतंत्र दिवस समारोह के लिए भेजा गया था। जहाँ हुई परेड में धनुष ने अपनी शौर्य गाथा बयां की। भीड़ के बीच सिर्फ धनुष की ही बाटे होती रही, जब यह परेड में निकली तो लोंग इसे देखने के लिए उमड़ पड़े। परेड में इसके बारे में दुनिया भर को जानकरी दी गई, हालांकि पहले भी यह परेड का हिस्सा बन चुकी है लेकिन परेड में इसे देखने वालों की आंखे यही बयां कर रही थी कि वह परेड में सिर्फ यही देखने आए ही थे जैसे उनके वर्षो की चाहत पूरी हो गई। बता दें कि जिले ने सेना के लिए कई ऐसे हथियार दिए है जो दुनिया भर में अपनी अलग पहचान बनाये हुए हैं।
17 से अधिक तोप सौप चुके
जानकारी के मुताबिक जीसीएफ द्वारा भारतीय सेना को अभी तक इस प्रकार की 17 से अधिक तोप सौपी जा चुकी है। कुल 144 धनुष तोप बना के दी जानी है। जानकारी के मुताबिक 3 तोप हर माह तैयार करने का लक्ष्य फैक्ट्री ने बना रखा है। इस तोप को भारत के ही पुर्जो से बनाया जा रहा है, 90 प्रतिशत भारत मे निर्मित पुर्जे ही उपयोग किये जा रहे हैं। परेड में जबलपुर से जीसीएफ की एक टीम भी दिल्ली गई थी।
आइए जानते हैं धनुष की खासियत
जानकारी के मुताबिक धनुष के विशेषताओं में दुनिया भर के हथियारों से अलग है, धनुष से 12 फायर प्रति मिनट निकलने की कैपेसिटी है। इसके अलावा 155 एमएम से 40 किमी तक निशाना साधा जा सकता है, लगातार डेढ़ घण्टे तक फायर करने की क्षमता है, 46.5 किलोग्राम का गोला फायर क्षमता, मौसम कैसा भी हो कोई फर्क नही पड़ेगा, सबसे महत्वपूर्ण यह है कि जबलपुर में निर्मित इस तोप को चीनी व पाकिस्तानी सीमा पर तैनात किया गया है।