रीवा। स्कूल शिक्षा विभाग के लाखों रुपए पानी में बह गए। छात्रों का भविष्य दांव पर लग गया। करीब 72 लाख रुपए से छपाए गए प्रश्नबैंक किसी काम नहीं आए। बोर्ड परीक्षा में इन प्रश्नबैंक से प्रश्न ही नहीं फंसे। इससे तैयारी करके परीक्षा देने पहुंचे छात्रों के सामने पास होने तक का संकट खड़ा हो गया है।
ज्ञात हो कि स्कूल शिक्षा विभाग ने 9 वीं से 12 वीं तक के छात्रों के लिए प्रश्नबैंक छपवाए थे। 10वीं और 12वीं के लिए प्री बोर्ड और 9वीं, 11वीं के छात्रों के लिए प्री एग्जाम का आयोजन किया गया था। इसमें बोर्ड के छात्रों को तो प्रश्न प्रत्र उपलब्ध कराए गए थे, लेकिन 9वीं और 11वीं के छात्रों के लिए प्रश्नबैंक से उत्तर लिखकर स्कूलों में जमा करने के निर्देश दिए गए थे। इतना ही नहीं प्रश्नबैंक से ही बोर्ड परीक्षा की भी तैयारी कराने के निर्देश दिए गए थे। ऐसा सिर्फ इसलिए किया गया कि लॉकडाउन के कारण रेग्युलर कक्षाएं नियमित रूप से संचालित नहीं हो पा रही थी। स्कूल शिक्षा विभाग ने हाई और हायर सेकेण्डरी के छात्रों के लिए स्पेशल रूप से प्रश्नबैंक भी तैयार कराए। सभी जिलों में इसकी छपाई कराकर छात्रों को बांटने के निर्देश भी दिए गए।
रीवा में भी करीब 72 लाख रुपए में प्रश्नबैंक की छपाई हुई। मिनिमम 30 पन्नों से लेकर 96 पन्नों तक के प्रश्नबैंक छपवाए गए। इनका वितरण तो हुआ लेकिन छात्रों के काम नहीं आया। बोर्ड परीक्षा में जो छात्र प्रश्नबैंक के भरोसे रहे, उन्हें झटका लगा है। शिक्षाविदों का कहना है कि प्रश्नबैंक से 10 फीसदी सवाल भी नहीं पूछे गए। जबकि शिक्षकों को आनलाइन भोपाल से निर्देशित किया गया था कि प्रश्न बैंक से ही छात्रों की तैयारी कराई जाए। इसी से प्रश्न पूछे जाएंगे। छात्रों ने भी इसी से तैयारियां की। अब शासन के लाखों रुपए तो बर्बाद ही हुए, छात्रों का कॅरियर भी दांव पर लग गया है।
हद तो यह है कि प्रश्नबैंक की छपाई का काम स्कूल शिक्षा विभाग ने ऐसे समय पर किया जब छात्रों ने स्कूल आना बंद कर दिया। बोर्ड परीक्षा के शुरू होने के पहले ही इसकी छपाई और वितरण का काम शुरू किया गया। ऐसे में छात्रों ने स्कूल से दूरियां बना ली थी। घरों से ही तैयारी कर रहे थे। प्रश्नबैंक स्कूलों में ही धूल खाते रह गए। परीक्षा शुरू हो गई, लेकिन छात्रों तक नहीं पहुंचे। यही हाल 9वीं और 11वीं के छात्रों के साथ भी हुआ। प्री एग्जाम में प्रश्न बैंक से ही सवाल देखकर उत्तर लिखना था। इसके बाद इसे स्कूलों में जमा करना था। स्कूल शिक्षा विभाग ने प्री एग्जाम के पहले प्रश्नबैंक ही छात्रों को उपलब्ध नहीं कराया था। मजबूरी में छात्रों ने बाजार से ही प्रश्नबैंक खरीद लिया था। सरकारी खर्चे पर छपे प्रश्नबैंक किसी काम नहीं आए। अब भी स्कूलों में प्रश्नबैंक डंप पड़े हैं।
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